सांसदों के लिए जोड़ो, गैस सब्सिडी छोड़ो

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​नवल कान्त सिन्हा
(NRP) 29.12.2015
लाहौल बिला कुव्वत… कचरा करा दिया न !!! ये जनता ही स्वार्थी है… करोड़ो रूपये के सरकारी विज्ञापन चलाये गए. तमाम नेताओं ने बयान जारी किये. कहा कि गैस सब्सिडी छोड़ दो. लेकिन कौन सुनता है… करोड़ों में से कुछ लाख जनता ने देशहित के नाम पर छोड़ दिया. लेकिन इससे क्या होता है !! गंजा करने से मुर्दा थोड़ी हल्का होता है. फिर देशहित न सही नेताहित में तो सोचते. सरकार ने इतना पाठ पढ़ाया लेकिन समझ नहीं आया. अब जोर जबरदस्ती के सिवा कोई रास्ता छोड़ा है क्या जनता ने !!
जान लीजिये पूर्व और वर्तमान सांसदों की सैलरी बढ़ाने की 60 सिफारिशों वाला प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को भेजा जा चुका है. अगर ये सिफारिश मान ली जाती है तो हर सांसद को हर महीने 2 लाख 80 हजार रुपए वेतन मिलेगा. पूर्व सांसदों की पेंशन 20 हजार से बढ़कर 35 हजार हो जायेगी. अब इसमें हम पूर्व सांसदों, हवाई-रेल टिकट और अन्य ढेर सारे खर्चों को हटाकर केवल वर्तमान सांसदों के वेतन की गणना करें तो पांच साल में वेतन भत्तों पर एक अरब ग्यारह करोड़ तीस लाख रूपये खर्चा आयेगा. अब बताइये ये पैसा कौन देगा ? ज़रा सी सब्सिडी नहीं छोड़ सकते थे !! अरे सरकार आखिर कितना टैक्स लगाए !! लेकिन ये देश की बेशर्म जनता है, कहाँ सुनने वाली….
एक कोई ग्लोबल टैक्सपेयर्स ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं मनीष खेमका. लिखते हैं कि देश में कुल 16.35 करोड़ गैस उपभोक्ता हैं. इसमें से 57.50 लाख टैक्सपेयर ने गैस सब्सिडी छोड़ दी है. इसके बावजूद दस लाख से ऊपर के टैक्सपेयर की सब्सिडी ख़त्म कर सरकार क्या संदेश देना चाहती है. आगे लिखते हैं कि देश को सात लाख करोड़ रूपये इनकम टैक्स देने वाले देश के 3.5 करोड़ टैक्सपेयर गधे हैं. और गधा ही बोझा ढोता है. तिरस्कार-अपमान झेलता है… लीजिये अब इसमें भी कोई शक है कि गधे को ही बोझ ढोना होता है. फिर संदेश पूछने की क्या जरूरत है- सांसदों की सेलेरी में बढ़ोतरी का प्रस्ताव और दस लाख के ऊपर वालों की सब्सिडी ख़त्म कर सरकार ने साफ़ संदेश दे दिया है. समझे कि नहीं ??? नहीं… तो बस इतना समझ लीजिये कि आने वाले वक्त में दस से पांच लाख, पांच से तीन लाख और अंत में यह यात्रा नो गैस सब्सिडी पर ख़त्म होने वाली है. हाँ, सांसदों के प्रस्ताव में ये भी है कि उनकी सेलेरी हर साल पच्चीस फीसदी बढ़ेगी. आप मान लीजिये ऐसा हो गया तो संसद में कोई हंगामा न होगा. कोई सांसद अनुपस्थित न होगा. और हाँ कोई नेता भ्रष्टाचार नहीं करेगा…
जय हो नेताजी की.

 

[box type=”info” head=”नोट”]सिर्फ हास्य-व्यंग्य है, दिल पर न लें… किसी का कलेजा दुखाना कभी किसी हास्य-व्यंग्य का मकसद नहीं हो सकता, सचमुच… फिर भी बुरा लगा तो- हमसे भूल हो गयी हमका माफी दई दो… नहीं तो फोन कर दो, मेल कर दो- आइंदा आपसे बचकर चलेंगे भैया…[/box]

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