भारत-पाक वार्ता रद्द होने का दैनिक भास्कर का दावा, डोभाल ने बयान का खंडन किया

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(NRP) 11.01.2016
भारत ने पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर पर आगामी 15 जनवरी को प्रस्तावित वार्ता के रद्द होने की खबर का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने खंडन किया है। हिंदी अखबार दैनिक भास्कर ने दावा किया है कि उसे दिए कथित इंटरव्यू में डोभाल ने भारत-पाक वार्ता रद्द् होने का दावा किया है, जबकि, डोभाल ने इंटरव्यू देने की बात से ही इनकार कर दिया है और खंडन के बावजूद अखबार अपनी बात पर कायम है। 15 जनवरी भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों की बैठक होनी है।
भास्कर- पाकिस्तान को लेकर हमारी आगे की क्या पॉलिसी है?
डोभाल- पॉलिसी एक ही है। अब जब तक पाकिस्तान पठानकोट के गुनहगारों पर कड़ी कार्रवाई नहीं करेगा और भारत उस एक्शन से संतुष्ट नही होगा, तब तक कोई शांतिवार्ता नहीं करेंगे। इसी के तहत भारत ने 15 जनवरी को लाहौर में होने वाली इंडो-पाक सेकेट्री लेवल मीट भी कैंसिल कर दी है। अब एक्शन से पहले कोई बात नहीं।

[su_button url=”http://www.bhaskar.com/news-ht/NAT-NAN-narendra-modi-boy-nsa-ajit-doval-first-exclusive-interview-to-any-media-5219172-NOR.html?78″ target=”blank” background=”#0f9aee” color=”#000000″ size=”4″ center=”yes” icon_color=”#ffffff” text_shadow=”0px 0px 0px #fdfcfc”]पढ़ें दैनिक भास्कर का इंटरव्यू[/su_button]

 

[box type=”info” head=”कौन हैं अजीत डोभाल”]दैनिक भास्कर के अनुसार अजीत डोवाल भारत के इकलौते ऐसे पुलिस अधिकारी हैं, जिन्हें कीर्ति चक्र और शांतिकाल में मिलने वाले गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा जा चुका है। हाल के पठानकोट हमले को सफल बनाने में उनका रोल काफी अहम है। 1980 के बाद से वह कई सिक्युरिटी कैंपेन का हिस्सा रहे। अपनी हिम्मत और जज्बे के बूते डोभाल ने जासूसी की दुनिया में कई ऐसी मिसालें कायम कीं, जिसने उन्हें दुनिया रियल जेम्स बॉन्ड बना दिया।

– 20 जनवरी, 1975 को उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे अजीत डोभाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की।

– केरल के 1968 बैच IPS अफसर डोभाल अपनी नियुक्ति के चार साल बाद 1972 में ही इंटेलीजेंस ब्यूरो (IB) से जुड़ गए।

– पूरे करियर में डोभाल ने महज 7 साल ही पुलिस की वर्दी पहनी। उनका ज्यादातर समय खुफिया विभाग में बतौर जासूस गुजरा है।

– 2005 में IB डायरेक्टर पोस्ट से रिटायर हुए।

– अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में डोभाल मल्टी एजेंसी सेंटर और ज्वाइंट इंटेलिजेंस टास्क फोर्स के चीफ थे।

– वे विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के फाउंडर प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं।

– विवेकानंद फाउंडेशन को राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (RSS) के थिंक टैंक के तौर पर जाना जाता है।

– जासूसी की दुनिया में 37 साल का तजुर्बा रखने वाले डोभाल 31 मई, 2014 को देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने।

डोभाल की बड़ी उपलब्धिया-

– 1980 के दशक में लालडेंगा के नेतृत्व में मिजो नेशनल फ्रंट के उग्रवाद को काबू करने के लिए अजीत डोभाल ने मोर्चा संभाला और ललडेंगा के 7 में से 6 कमांडरों को अपने साथ जोड़ लिया।

– खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर डोवाल 7 साल पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर रहे थे।

– जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर हुए आतंकी हमले के काउंटर ऑपरेशन ब्लू स्टार में जीत के नायक बने। वो रिक्शा वाला बनकर मंदिर के अंदर गए और आतंकियों की जानकारी सेना को दी, जिसके आधार पर ऑपरेशन में भारतीय सेना को सफलता मिली।

– 1988 में सैन्य सम्मान कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले देश के पहले यंग पुलिस अफसर बने। अमूमन ये पुरस्कार सिर्फ अार्मी के लोगों को ही दिया जाता है।

– 1999 में कंधार प्लेन हाईजैक के दौरान ऑपरेशन ब्लैक थंडर में अजीत डोभाल आतंकियों से निगोसिएशन करने वाले मुख्य अधिकारी थे।

– जम्मू-कश्मीर में घुसपैठियों और शांति के पक्षधर लोगों के बीच काम करते हुए डोभाल ने कई आतंकियों को सरेंडर करा प्रो-इंडिया बनाया।

– अजीत डोभाल 33 साल तक नॉर्थ-ईस्ट, जम्मू-कश्मीर और पंजाब में खुफिया जासूस रहे।

– 2015 में मणिपुर में आर्मी के काफिले पर हमले के बाद म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के खात्मे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक ऑपरेशन के हेड प्लानर रहे।

– जनवरी 2016 में हुए पठानकोट आतंकी हमले के काउंटर आॅपरेशन को सफलतापूर्वक लीड किया।

डोभाल पर उनके 4 साथियों की राय…

– डोभाल का बहुत क्रूसल रोल है। इस सरकार की सफलता और असफलता के बीच अजीत डोभाल ही होगा।

– दुल्लत, खुफिया ब्यूरो के पूर्व चीफ

– मोदी सरकार में अभी तक जो नियुक्तियां हुईं, वह बहुत ही चुने लोग हैं। मेरे ख्याल से सबसे अच्छा सिलेक्शन अजीत डोभाल का है। उनको देश की इंटरनल और एक्सटरनल सेक्युरिटी की पूरी जानकारी है।

– एन सिंह, खुफिया ब्यूरो के पूर्व अफसर

– चाहे डिफेंस मिनिस्टर हो या होम मिनस्टर या फिर प्राइम मिनिस्टर सब को डोभाल पर पूरा भरोसा है। उन्हें जो काम दिया जाता है उसकी गंभीरता को समझते हैं। उनकी सलाह सबसे अच्छी होता है।

– अरुण भगत, आईबी के पूर्व चीफ – डोभाल अपने करियर में हमेशा ऊंची उड़ान भरते रहे हैं लेकिन उनके पैर आज भी जमीन पर हैं। एक जासूस के तौर पर उन्होंने बेशुमार खतरों का भी सामना किया। एनएसए बनने के बाद उनकी चुनौतियां बढ़ गई हैं।

– केएम सिंह, डोभाल के पूर्व सहकर्मी[/box]

 

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