बुलेट ट्रेन से भी तेज़ गति की ओर ‘ओडीओपी एक्सप्रेस’

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लखनऊ। योगी सरकार ने अपनी महत्वाकांक्षी योजना ‘ओडीओपी एक्सप्रेस’ को बुलेट ट्रेन से भी तेज गति से चलाने की तैयारी कर ली है। दरअसल ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) की रफ्तार को और तेज़ हवा देने के लिए यूपी सरकार ‘Mission OSOP’ लॉन्च करने जा रही है। ओएसओपी अर्थात वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट। इससे ओडीओपी (एक जिला, एक उत्पाद) को नई पहचान मिलेगी।
कोलकाता के रहने वाले सत्तर वर्षीय पार्थो बंदोपाध्याय बताते हैं कि जब वह नौकरी करते थे तो नौकरी के सिलसिले में दिल्ली अक्सर आना-जाना पड़ता था लेकिन जब ट्रेन मुरादाबाद में रुकती थी तो वह पीतल के सजावटी सामान गिफ्ट के लिए जरूर खरीदते थे। इसी तरह बरेली से सुरमा या लखनऊ से रेवड़ी या फिर बनारस स्टेशन से लकड़ी के खिलौने खरीदते थे। स्टेशन पर मिलने वाले यह सब सामान सस्ते होते थे। साथ ही जिनको वह देते थे तो वो प्रसन्न हो जाते थे… लेकिन पिछले दशकों से ये समान नजर ही नहीं आते।

यात्रियों की इसी आशा पर यूपी सरकार का ध्यान गया है। इस योजना के तहत एक जिले में पड़ने वाले सभी रेलवे स्टेशनों पर संबंधित जिले के ओडीओपी उत्पाद उस स्टेशन के सबसे प्रमुख प्लेटफॉर्म की उस जगह पर उपलब्ध होंगे, जहां सर्वाधिक लोगों का आना-जाना होता है। संबंधित प्लेटफार्म पर ओडीओपी के आकर्षक स्टाल लगाए जाएंगे।
मसलन, अगर आपकी ट्रेन अयोध्या से गुजर रही है तो इस जिले में पड़ने वाले सभी स्टेशनों (अयोध्या, अयोध्या कैंट, बिल्हर घाट, बड़ा गांव, भरतकुंड, देवराकोट, दर्शननगर, गौरिया मऊ, मसौधा, रौजागांव, सालारपुर, सोहावल, गोसाईगंज, रूदौली और आचार्य नरेंद्रनगर) तक अयोध्या की ओडीओपी में शामिल गुड़ अपनी पूरी मिठास और रेंज के साथ दिख जाएगा।
इसी तरह अगर आप आप अमेठी, सुल्तानपुर और प्रयागराज से गुजरते हैं तो आपको मूंज के विविध एवं खूबसूरत उत्पाद दिख जाएंगे। प्रतापगढ़ से गुजरते समय आंवले के खट्टे-मीठे प्रसंस्कृत उत्पाद आपका ध्यान जरूर खीचेंगे। मर्जी हो तो खरीदिए, अन्यथा जो भी वेंडर होगा, उसका विजिटिंग कार्ड ले लीजिए। घर से भी ऑर्डर करने पर ऑनलाइन डिलीवरी की सुविधा उपलब्ध होगी। यही नहीं हर 15 दिन के बाद वेंडर बदल जाने के कारण आपको उत्पादों की नई रेंज उपलब्ध होगी।
इस बाबत सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल एवं रेलवे के अधिकारियों के बीच बैठक हो चुकी है। बैठक में यह तय हुआ कि स्टॉल्स में एकरूपता के लिए इनको एक स्टैंडर्ड साइज (6×5 या 6×10 फीट और कुल ऊंचाई 10 फीट) में रेलवे उपलब्ध कराएगा। जरूरत के अनुसार एक स्टेशन पर ये स्टॉल्स एक से अधिक भी हो सकते हैं। ये स्टॉल्स स्थाई या ट्रॉली के रूप में भी हो सकते हैं। इनका 15 दिन का किराया 1000 रुपये होगा। इसे एमएसएमई विभाग रेलवे को देगा। वेंडरों की सूची और उनका रोटेशन भी विभाग ही उपलब्ध कराएगा।

वाराणसी कैंट, प्रतापगढ़ में लग चुके हैं स्टॉल्स
ओएसओपी का जिक्र पहली बार 2022-2023 के आम बजट में हुआ था। मकसद था जगह विशेष के खास उत्पादों के पहचान को और मुकम्मल बनाना, इनको बनाने वालों को एक स्थाई बाजार देकर उनको बड़ा मंच देना। इसके बाद प्रयोग के तौर पर अप्रैल 2022 में वाराणसी कैंट स्टेशन पर लकड़ी के खिलौनों और प्रतापगढ़ में आंवला के प्रसंस्कृत उत्पादों के स्टॉल से इसकी शुरुआत हुई। अब इसे विस्तार दिया जा रहा है।

ओएसओपी से होगा ओडीओपी का विस्तार : सहगल
एमएसएमई विभाग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल का कहना है कि अपने व्यापक नेटवर्क (68000 किमी रेल लाइन) के नाते भारतीय रेलवे की देश की एकता एवं अखंडता का प्रतीक है। हर रोज यह 231 लाख लोगों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है। आबादी के लिहाज से सबसे बड़ा प्रदेश होने की वजह से स्वाभाविक रूप से इसमें सर्वाधिक संख्या उत्तर प्रदेश के लोगों की होती है। यही नहीं, पिछले पांच साल में उत्तर प्रदेश पर्यटकों का सबसे पसंदीदा स्थल बन चुका है। जिस तरह से इस क्षेत्र में काम हो रहा है, उसके मद्देजर आने वाले समय में यह संख्या और बढ़ेगी। ऐसे में वन स्टेशन, वन प्रोडक्ट (ओएसओपी) योजना ओडीओपी के दायरे को और विस्तारित करेगी।

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