HIT **** (News Rating Point) 06.02.2016
अलीगढ़ से ओमवती यादव इस सप्ताह समाजवादी पार्टी के एमएलसी प्रत्याशी घोषित होने के वजह से चर्चा में आये. ओमवती यादव जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भले ही एक वोट से हार गईं थीं, मगर पूरे दमखम के साथ लड़ीं थीं. इसी का नतीजा है कि सपा ओमवती यादव पर खूब मेहरबान है. उन्हें पहले पार्टी जिलाध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया और अब एमएलसी के लिए अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया गया है. ओमवती यादव वैसे तो करीब डेढ़ दशक से सपा से जुड़ी हैं और जनपद की राजनीति में सक्रिय हैं, मगर मुख्य चर्चा में वे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव से ही आयीं. वर्ष 2004 से अब तक वे चार बार सपा की जिला कोषाध्यक्ष रह चुकी हैं. वर्ष 2010 में वे हसायन ब्लाक प्रमुख चुनी गईं. वर्ष 2012 में पार्टी ने इन्हें प्रदेश सचिव नियुक्त किया. वर्ष 2015 में ओमवती जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुईं. यहां तक के सियासी सफर में ओमवती की सक्रियता जरूर रही, मगर जनचर्चा में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़कर आईं. दरअसल कुल 25 सदस्यों वाली यहां की जिला पंचायत में ओमवती सहित मात्र 5 सदस्य ही सपा समर्थित जीतकर आए थे. बसपा ने अध्यक्ष पद के लिए जीत का आंकड़ा सदस्यों के चुनाव में ही छू लिया था. बसपा समर्थित 13 सदस्य चुनाव जीते थे. पांच सदस्य भाजपा समर्थित जीतकर आए थे और एक रालोद समर्थित. एक सदस्य निर्दलीय था. इस दौरान इन पर हमला भी हुआ था. ऐसे विषम परिस्थिति में भी ओमवती यादव ने खुद सहित अपने पांच सदस्यों के बूते ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर ताल ठोंकी. अपनी होशियारी से इन्होने मुकाबले को रोचक बना दिया. भले ही सीधे मुकाबले में बसपा के उम्मीदवार चुनाव जीते, मगर बसपा जहां थी, वहीं रह गई और ओमवती यादव ने 12 वोट प्राप्त कर लिए थे. ओमवती यादव के इसी सियासी कौशल का नतीजा रहा कि सपा उन पर मेहरबान हुई.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)
[su_youtube url=”https://www.youtube.com/watch?v=7s4ZciagE7s” width=”400″ height=”300″]