Prakash Javadekar BJP

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HIT ***** (News Rating Point) 09.07.2016
केंद्रीय मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद प्रकाश जावड़ेकर को राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. मोदी कैबिनेट के विस्तार से पहले जावड़ेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे. इस बार वह इकलौते प्रमोशन के हकदार बने, जबकि इसके पहले बतौर राज्यमंत्री उनसे संसदीय कार्य और सूचना एवं प्रसारण जैसे दो महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी वापस ले ली गई थी. जावड़ेकर के इस प्रमोशन के बारे में किसी ने शायद कयास भी नहीं लगाए थे. पर्यावरण मंत्रालय में जावड़ेकर के काम, खासकर पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर भारत का पक्ष पूरी मजबूती से रखने में सक्रिय भूमिका निभाने का इनाम मिला है. जावड़ेकर अपने दफ्तर के इमारत पर सोलर पैनल लगवाकर उसी का इस्तेमाल करवाते हैं. लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम आने के बाद सांसद नहीं होने के बावजूद उन्हें मंत्री परिषद में शामिल किया गया और तीन महत्वपूर्ण विभागों-पर्यावरण मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार समेत सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और संसदीय कार्य विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी. यह सबके सामने मजबूती से पार्टी का पक्ष रखने का इनाम था. बाद में उन्हें एमपी से राज्यसभा में लाया गया. बैंक में नौकरी कर चुके जावड़ेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता रहे हैं. तबसे ही संगठन के सभी प्रमुख नेताओं से उनका घनिष्ठ परिचय रहा है. यह तथ्य उनकी गहरी राजनैतिक और वैचारिक निष्ठा को दिखाता है. देश का काला अध्याय कहे जाने वाले आपातकाल के विरोध में जावड़ेकर ने सत्याग्रह किया था और 16 महीने तक जेल में रहे थे. उस दौरान संघ, जनसंघ और अन्य विचारों के प्रमुख नेताओं से मिले, उनसे सीखा और हमेशा उन सबसे अपना संपर्क जिंदा रखा. साल 2008 में राज्यसभा के लिए पहली बार चुने जाने से पहले जावड़ेकर 1990 और 2002 में वे महाराष्ट्र विधान परिषद में चुने गए थे. उस दौरान उन्होंने कई संगठन और सरकार के कई प्रोजेक्ट को कामयाबी के साथ पूरा किया था. ऐसा ही करने वाले महाराष्ट्र के एक और नेता नितिन गडकरी ने भी विधान परिषद सदसर्य रहने के दौरान ही अपना लोहा मनवा लिया था.
बीजेपी के प्रवक्ता रहे जावड़ेकर मंत्री बनने से पहले तक पार्टी के आंध्र प्रदेश प्रभारी थे. तेलुगुदेशम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडु को एनडीए में लाने वालों में उनकी सबसे बड़ी भूमिका थी. वोट के बदले नोट कांड का पर्दाफाश कर उस पूरे घटनाक्रम को लोगों के सामने लाने में भी जावड़ेकर ने अहम भूमिका निभाई थी. उनकी कोशिशों के बाद राजनीति के एक स्याह पक्ष और उससे जुड़े लोगों पर बड़ी कार्रवाई तक बात पहुंच गई. बीजेपी बनने के तुरंत बाद से यानी साल 1981 से ही वह पार्टी में हैं. पार्टी की नीतियां तय करने वाली टीम में उनकी अहम हिस्सेदारी रही. पार्टी से जुड़ी कई थिंक टैंक से उनका सीधा जुड़ाव है. साल 1984 से 1990 के बीच भारतीय जनता युवा मोर्चा (बीजेवायएम) के महासचिव और राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं. इसके अलावा बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई में कई बड़े अभियानों का कामयाब संचालन भी कर चुके हैं. इन सबके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी नजदीकी भी उनके प्रमोशन की एक बड़ी वजह है. पीएम मोदी की अहम पहलों का सबसे पहले समर्थन करने और उस पर अमल की शुरुआत में जावड़ेकर आगे रहते हैं. इसका सबसे बड़ा उदाहरण गंगा नदी को लेकर उनकी कोशिशें हैं. इसके अलावा पार्टी की ओर से नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने वक्त भी जावड़ेकर बेहद संतुलित दिखे थे.

(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)
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