(News Rating Point) 09.04.2016
संक्षिप्त विवरण-
1977: बृजमोहन अग्रवाल ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के माध्यम से की और उसके बाद उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर में फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और दर-ब-दर वे सफलता की सीढ़ियों पर लक्ष्य की ओर बढ़ते गये।
1981-82 : जब वे विद्यार्थी परिषद् से जुड़ने के बाद वेइसी के बैनर तले पहली बार कॉलेज की राजनीति में उतरे और दुर्गा महाविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गये इतना ही नहीं इसी वर्ष में विश्वविद्यालय छात्र संघ के प्रमुख सलाहकार भी बने।
1982-83 : जब वे कल्याण कॉलेज में पहुचे तो वहॉं के छात्रों ने भी उन्हें अपना मुखिया चुना छात्र राजनीति में रहते हुए बृजमोहन ने सामाजिक क्षेत्र में प्रवेश किया और अग्रवाल युवा मण्डल के अध्यक्ष चुने गये और लगभग आठ वर्षो तक वे इस पर पर रहे। अग्रवाल युवा मण्डल के माध्यम से उन्होंने युवा अग्रबंधुओं को सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने की एक नई दिशा और ऊर्जा दी।
1984 : छात्र राजनीति में रहने के बाद बृजमोहन अग्रवाल ने सही अर्थों में अपनी सक्रिय अटूट राजनीति की शुरूआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य बने।
1986 : राजनीति में उनकी कार्य शैली से प्रभावित होकर उन पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने अपना विश्वास जताया और युवा जनों को जोड़ने और उन्हें मार्गदर्शन देने के लिए भारतीय जनता युवा मोर्चे का प्रदेश मंत्री नियुक्त किया।
1988-90 : युवा मोर्चा में उनके किये गये कार्यों से प्रभावित होकर उन्हें प्रदेश मोर्चा का उपाध्यक्ष बनाया गया।
1988-92 : भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष रहते हुए बृजमोहन अग्रवाल जेसीज के सदस्य बने और बाद में इसके डायरेक्टर भी रहे।
1989 : रविशंकर विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि चुने गये।
1990 : बृजमोहन अग्रवाल की कार्य क्षमता, प्रतिभा और लोकप्रियता को देखते हुए उन्हें पहली बार पार्टी ने विधान सभा चुनाव में रायपुर शहर से अपना उम्मीदवार बनाया और उन्होंने कॉंग्रेस की परंपरागत सीट को पहली बार पार्टी की झोली में डाला। उनकी लोकप्रियता और कार्यशैली का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1990, 93, 98, 2003, 2008 संपन्न चुनावों में इस सीट पर भाजपा का आधिपत्य है। बृजमोहन के सामने लगातार विपक्षी दल अपना उम्मीदवार बदलते रहे लेकिन उनकी विजय का अंतर निरन्तर बढ़ता ही गया। पिछली बार संपन्न चुनाव नये परीसीमन के बाद हुए लेकिन उन्होंने फिर भी अपने विजय का सिलसिला जारी रखा।
1990 : पहली बार पार्टी के टिकट पर अविभाजित मध्यप्रदेश की विधान सभा में पहुंचे । बृजमोहन अग्रवाल को सुंदर लाल पटवा मंत्रिमण्डल में स्थान दिया गया और उन्हें स्थानीय शासन एवं पर्यटन विज्ञान एवं तकनीकी विभाग का स्वतंत्र प्रभार का दायित्व सौंपा गया।
1991-94 : पार्टी में उन्हें फिर से दोबारा भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश महामंत्री बनाया गया और साथ ही रोटरी क्लब में उन्हे क्लब की मानद सदस्यता भी दी।
1993 : पार्टी नें उन्हें जहॉं फिर से भाजयुमो का प्रदेश महामंत्री नियुक्त किया वहीं दूसरी ओर उन्हें विधान सभा में प्रश्न एवं संदर्भ विशेषाधिकार एवं शासकीय आश्वाशन समिति में भी सदस्य के रूप में मनोनीत किया।
1994-98 : इन चार वर्षो में बृजमोहन अग्रवाल अविभाजित मध्यप्रदेश में भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक का दायित्व संभाले रखा वहीं उन्हें भाजपा विधायक दल, भाजपा प्रदेश कार्य समिति, सरकारी उपक्रम समिति का सदस्य बनाया गया, इसके अलावा वे भारतीय जनता युवा मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे।
2000 : छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आने के बाद बृजमोहन अग्रवाल सदस्य बने।
2003 : छत्तीसगढ़ में पहली बार, सत्तासीन हुई भाजपा की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। उन्हें गृह, जेल, संस्कृति व पर्यटन विभाग का दायित्व सौंपा गया।
2005 : बृजमोहन अग्रवाल को राजस्व, संस्कृति, पर्यटन, विधि विधायि पुर्नवास मंत्री बनाया गया।
2006 : बृजमोहन अग्रवाल को वन, खेल एवं युवा मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया।
2008 : पार्टी के दोबारा सत्ता में आने पर बृजमोहन अग्रवाल को लोक निर्माण, संसदीय कार्य, शालेय शिक्षा, पर्यटन, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का दायित्व सौंपा गया।
2013 :पार्टी के तीसरी बार सत्ता में आने पर बृजमोहन अग्रवाल को कृषि, पशुपालन, मछलीपालन, आयाकट, धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग का दायित्व सौंपा गया।
(बृजमोहन अग्रवाल के फेसबुक पेज से)
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