Profile Chhagan Bhujbal NCP

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(News Rating point) 17.03.2016
महाराष्ट्र सदन घोटाले मामले में गिरफ्तार एनसीपी नेता छगन भुजबल को कोर्ट ने दो दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया है। एनसीपी के सबसे बड़े ओबीसी चेहरे के रूप में फेमस भुजबल कभी बाला साहब के बेहद करीब हुआ करते थे। पुलिस से बचने के लिए वे वेश बदलकर बालासाहब से मिलने जाया करते थे। छोटी उम्र में हुआ माता-पिता का निधन ..
– नासिक में जन्में छगन भुजबल जब सिर्फ चार साल के थे, तब उनके माता-पिता का निधन हो गया था।
– इसके बाद उनकी नानी ने उन्हेंं पाला। वे उनके साथ भायखला सब्जी मंडी में सब्जी और फल बेचा करते थे।
– असामाजिक तत्वों द्वारा उनके ठेले पर कब्जा करने के बाद उनका वह रोजगार भी बंद हो गया।
– इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक एक सब्जी वाले के यहां भी काम किया। इस दौरान उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी।
– उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और बाल ठाकरे के विचारों से प्रभावित होकर शिवसेना से जुड़े।

ऐसे जुड़े शिवसेना से
– पढ़ाई पूरी करके नौकरी के लिए भटक रहे भुजबल एक दिन अपने दोस्त के साथ बालासाहब ठाकरे का भाषण सुनने गए।
– बालासाहब ने मराठी युवाओं की नौकरियों और हक के लिए लड़ने का एलान इस भाषण में किया था।
– भाषण खत्म होने के बाद भुजबल ने उनसे मिलकर साथ में काम करने की इच्छा जताई।
– इसके कुछ दिनों बाद बालासाहब ने उन्हेंं माजगांव शिवसेना का शाखा प्रमुख बनाया।

पवार और बालासाहब के बीच की कड़ी थे
– वे पहली बार 1973 में शिवसेना से पार्षद का चुनाव लड़े और जीते।
– शिवसेना प्रमुख दिवंगत बालासाहब ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के बीच की कड़ी भुजबल को माना जाता है।
– शिवसेना छोड़ने के बाद भी उनके बालासाहब से अच्छे संबंध रहे। वे आज भी अपनी राजनीतिक सफलता में बालासाहब के योगदान का जिक्र करते हैं।
वेश बदलकर बालासाहब से मिलते थे
– महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर बेलगांव में सभी दलों के नेताओं ने आंदोलन किया था।
– इसमें शरद पवार, बालासाहब ठाकरे, एन. डी पाटिल , एमएम जोशी जैसे महाराष्ट्र के बड़े नेता शामिल थे।
– उस दौरान भुजबल शिवसेना का नेतृत्व करने वाले थे। लेकिन कर्नाटक में उनके घुसने पर पाबंदी लगा दी गई।
– जिसके बाद पुलिस से बचने के लिए वे पत्रकार के वेश में बालासाहब से मिलने बेलगांव पहुंचे। वहां वे कई दिनों तक बिजनेसमैन का वेश बदल कर गुजराती व्यापारी के घर रहे।
– इस दौरान वे अलग-अलग वेश बदलकर बाला साहब से मिलने जाया करते थे। पहली बार तो वे बच गए लेकिन दूसरी बार उन्हेंं डेढ़ महीने तक जेल में रहना पड़ा था।

विवाद के कारण छोड़ी शिवसेना
– सन 1989-90 में प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने मंडल आयोग की सिफारिशों के अनुसार ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया।
– इस निर्णय का बीजेपी-शिवसेना विरोध कर रही थी। इसे तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार ने राज्य में लागू किया था।
– यह सिफारिशें लागू करने वाला महाराष्ट्र देश का पहला राज्य था।
– भुजबल ओबीसी नेता थे इसलिए उनका बालासाहब से इस मुद्दे को लेकर मतभेद हुआ और आखिर 1991 में वे शिवसेना छोड़ कांग्रेस में शामिल हो गए।
– इसके बाद उनपर शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने हमला किया था, जिसमें वे बाल-बाल बचे थे।
– कांग्रेस में शामिल होने के बाद शरद पवार ने उन्हें राजस्व मंत्री बनाया था।

समता परिषद की स्थापना की
– महाराष्ट्र की राजनीति में भुजबल का नाम एक बड़े ओबीसी नेता के तौर पर उभर चुका था।
– इसी दौरान 1 नवंबर 1992 को उन्होंने ओबीसी माली समाज के लिए अखिल भारतीय समता परिषद की स्थापना की।
– उन्होंने अपने पैतृक गांव नासिक जिले के येवला में भी इसकी शाखा खोली। शिवसेना के बाला नांदगांवकर से चुनाव हारने के बाद वे येवला से चुनाव लड़ें थे।
– पवार के कांग्रेस से अलग होने के बाद वे भी उनके साथ एनसीपी में शामिल हुए। वे दो बार महाराष्ट्र के उपमुख्यत्री भी रहे।
– पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में छगन भुजबल को शिवसेना के हेमंत गोड़से ने हराया था।
(दैनिक भास्कर में प्रकाशित)
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