(News Rating Point) 08.04.2016
उत्तर प्रदेश के नए प्रदेश अध्यक्ष के रूप में केशव प्रसाद मौर्या इस समय फूलपुर से सांसद हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में इन्होने मोदी लहर में फूलपुर से चुनाव जीता. मौर्या मूलतः पार्टी के संगठन के लिए एक लम्बे समय से काम करते रहे हैं. मौर्या श्रीराम मंदिर आन्दोलन में सक्रिय भूमिका में रहे. इन्होने विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल और भारतीय जनता पार्टी के संगठन में कई पदों का निर्वहन किया है. श्याम लाल मौर्य के पुत्र केशव राम मौर्य का जन्म 7 मई 1969 को कौशाम्बी जिले के सिराथू में हुआ था. इन्होने हिन्दी साहित्य सम्मलेन से साहित्य रत्न (बी.ए.) किया है. केशव प्रसाद मौर्य का शुरुआती जीवन गरीबी में बीता. खेती-किसानी की, चाय बेचा और अंततः राजनीति में एक मुकाम हासिल करने में कामयाब हुए.
कौशाम्बी में किसान परिवार में पैदा हुए केशव प्रसाद मौर्य के बारे में कहा जाता है कि उन्होने संघर्ष के दौर में पढ़ाई के लिए अखबार भी बेचे और चाय की दुकान भी चलाई. मौर्य आरएसएस से जुड़ने के बाद वीएचपी और बजरंग दल में भी सक्रिय रहे.हालांकि हलफनामे के मुताबिक आज की स्थिति काफी अलग है. उनके और उनकी पत्नी के पास करोड़ों की संपत्ति है. हलफनामे के अनुसार आज केशव दंपती पेट्रोल पंप, एग्रो ट्रेडिंग कंपनी, कामधेनु लाजिस्टिक आदि के मालिक हैं और साथ ही जीवन ज्योति अस्पताल में दोनों पार्टनर हैं. सामाजिक कार्यो के लिए कामधेनु चेरिटेबल सोसायटी भी बना रखी है. हिंदुत्व से जुड़े राम जन्म भूमि आंदोलन, गोरक्षा आंदोलनों में हिस्सा लिया और जेल गए. इलाहाबाद के फूलपुर से 2014 में पहली बार सांसद बने मौर्या काफी समय से विश्व हिंदू परिषद से जुड़े रहे हैं. मौर्य कोइरी समाज के हैं और यूपी में कुर्मी, कोइरी और कुशवाहा ओबीसी में आते हैं.
इनका का दामन दागदार भी है. केशव मौर्या पर ह्त्या के प्रयास की चार्जशीट है. मौर्य पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं. लोकसभा चुनाव के समय चुनाव आयोग को दिए हलफनामे से साफ है कि उन पर दस गंभीर आरोपों में मामले दर्ज हैं. जिसमें 302 (हत्या), 153 (दंगा भड़काना) और 420 (धोखाधड़ी) जैसे आरोप भी शामिल हैं. मौर्या2011 में मोहम्मद गौस हत्याकाण्ड में भी आरोपी हैं और इसके लिए वे जेल भी जा चुके हैं. कोर्ट में पुलिस ने मौर्या के खिलाफ चार्जशीट दी थी. हालांकि इस केस में वे बरी हो चुके हैं.
जहां तक राजनीतिक करियर का सवाल है तो विश्व हिंदू परिषद से जुड़े केशव 18 साल तक गंगापार और यमुनापार में प्रचारक रहे. 2002 में शहर पश्चिमी विधानसभा सीट से उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी के रूप में राजनीतिक सफर शुरू किया लेकिन बसपा प्रत्याशी राजू पाल के हाथों हार का सामना करना पड़ा. लेकिन मौर्य के लिए हार का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ, 2007 के चुनाव में भी उन्होंने इसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और एक बार फिर हार का मुंह देखना पड़ा. लेकिन आखिरकार 2012 के चुनाव में उन्हें सिराथू विधानसभा सीट से भारी जीत मिली. दो साल तक विधायक रहने के बाद 2014 लोकसभा चुनाव में पहली बार फूलपुर सीट पर बीजेपी का झंडा फहराया. मोदी लहर में इस सीट पर 503564 वोट हासिल कर एक इतिहास बना दिया.
मौर्या भाजपा के हार्डलाइनर नेताओं में से एक माने जाते हैं और उन्हें हमेशा विहिप और आरएसएस का समर्थन मिलता रहा है. कौशांबी के गांव में चाय बेचने वाले के बेटे केशव पहले करोड़पति बने, फिर ऐतिहासिक वोट हासिल कर सांसद बने और अब प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी. केशव मौर्य कौशांबी के सिराथू के कसया गांव के रहने वाले हैं. उनके पिता श्याम लाल वहीं चाय की दुकान चलाते थे. केशव की प्राथमिक शिक्षा दीक्षा भी गांव में ही हुई.