Profile O Rajagopal BJP Kerala

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(News Rating Point) 21.05.2016
86 वर्षीय राजागोपाल का जन्म 15 सितंबर, 1929 केरल के पालाक्काड़ जिले में हुआ था. उन्होंने अपनी कॉलेज तक की पढ़ाई पालाक्काड़ से की. उसके बाद मद्रास (अब चेन्नई) से कानून की पढ़ाई करके उन्होंने 1956 में पालाक्काड़ में वकालत शुरू की. राजागोपाल भारतीय जन संघ के सह-संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरित होकर राजनीति मे आए थे भारतीय जन संघ के सह-संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय से प्रेरित राजागोपाल जन संघ के सदस्य बन गए. वो जन संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य (1964-67) रहे. केरल बीजेपी के महासचिव राजागोपाल को 1974 में राज्य इकाई का अध्यक्ष बनाया गया. इस पद वो 1977 तक रहे.
कैच न्यूज़ ने लिखा कि 1977 में भारतीय जन संघ के जनता पार्टी में विलय के बाद राजागोपाल भी जनता पार्टी में चले गए. उन्हें पार्टी का राज्य महासचिव बनाया गया. वो 1980 में जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर कासारगोड से लोकसभा चुनाव लड़े और हारे. 1980 में जन संघ से जुड़े नेताओं ने जनता पार्टी से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी नामक नई पार्टी बनाई. राजागोपाल को बीजेपी का केरल इकाई का अध्यक्ष बनाया गया. वो 1985 तक इस पद पर रहे. 1985 में बीजेपी ने राष्ट्रीय राजनीति में ले आई. इस दौरान वो बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे पदों पर रहे. 1989 में उन्होंने केरल की मंजेरी से और 1991 में त्रिवेंद्रम(तिरुअनंतपुरम) से लोक सभा चुनाव लड़े लेकिन जीत नहीं सके.
बीजेपी ने 1992 में पहली बार मध्य प्रदेश से राज्य सभा भेजा. 1998 में पार्टी की तरफ से उन्हें दोबारा राज्य सभा में भेजा गया. केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटोनी ने कभी राजागोपाल को केंद्र में केरल का राजदूत कहा था. 1999 और 2004 के आम चुनाव में राजागोपाल त्रिवेंद्रम लोक सभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन दोनों बार उन्हें हार मिली. 2011 के राज्य विधान सभा चुनाव में वो नेमोम सीट से चुनाव लड़े. इस बार उन्हें करीब छह हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा. जून 2012 में हुए नेयात्तिनकारा विधान सभा उप-चुनाव में भी उन्हें जीत नहीं मिली.  2014 के आम चुनाव में वो त्रिवेंद्रम लोक सभा से प्रत्याशी थे लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी शशि थरूर से हुए मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.  जून 2015 में राज्य के अरुविक्करा विधान सभा उप-चुनाव में भी हार का मुंह देखना पड़ा.
लोकसभा और विधान सभा के कुल नौ चुनावों में हारने के बाद राजागोपाल को मौजूदा चुनाव में पहली बार जीत का स्वाद चखा. राज्य में बीजेपी को पहली जीत दिलाकर उन्हें अपनी जीत को ऐतिहासिक बना दिया है. केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री एके एंटोनी ने कभी उन्हें केंद्र में केरल का राजदूत कहा था. राज्य में बीजेपी का खाता खोलकर अब वो केरल की चुनावी राजनीति में दक्षिणपंथ के अग्रदूत बन गए हैं.

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