Radha Mohan Singh BJP

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FLOP **** (News Rating Point) 25.07.2015
केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह इस सप्ताह अपने असंवेदनशील बयान के चलते चर्चा में रहे. उन्होंने किसानों की आत्महत्या के लिए प्रेम-प्रसंग, दहेज और नपुंसकता को जिम्मेदार ठहराया. राधा मोहन का यह बयान उस वक्त सामने आया है, जब इसी वर्ष लगभग 1400 किसानों ने पैसों की तंगी, कर्ज या खराब फसल की वजह से आत्महत्या की है. उन्होंने पत्र के जरिए भेज गए जवाब में कहा है कि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक किसानों की खुदकुशी के जो कारण है उनमें बीमारी, ड्रग्स, दहेज , प्रेम संबंध और नपुंसकता है. विपक्षी दलों ने कृषि मंत्री के बयान का कड़ा विरोध किया. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सिंह के बयान पर कहा कि प्रधानमंत्री को चाहिए कि उनके मंत्री किसानों के घर जाए और देखें कि क्या हालात हैं. वहीं कांग्रेसी नेता राज बब्बर ने कहा कि मैं नहीं समझता कोई अन्य दल भाजपा की तरह असंवेदनशील मानसिकता का हो सकता है. दूसरी तरफ जदयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि हम इस बयान को गंभीरता से ले रहे हैं. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने राज्यसभा को बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार, कृषि क्षेत्र से जुड़े लोगों के आत्महत्या के कारणों में रिण ग्रस्त होना, फसल न होना या खराब हो जाना, सूखा आदि तो हैं ही, साथ ही पारिवारिक समस्याएं, बीमारी, नशे की लत, बेरोजगारी, संपत्ति विवाद, व्यावसायिक या रोजगार संबंधी समस्या, प्रेम प्रसंग के मामले, बांझपन एवं नपुंसकता, विवाह न होना या विवाह विच्छेद, दहेज समस्या, सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी आदि कारण भी उनकी आत्महत्या से जुड़े हैं. एक प्रश्न के लिखित उत्तर में राधा मोहन सिंह ने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2012 में कृषि से जुड़े 13,754 लोगों ने आत्महत्या की वहीं वर्ष 2013 में 11,772 और 2014 में 5650 लोगों ने आत्महत्या की. वर्ष 2014 में महाराष्ट्र में सर्वाधिक 2568 किसानों ने आत्महत्या की. उन्होंने बताया कि राज्य सरकारों से मिली सूचना के अनुसार, कृषि कारणों से आत्महत्या करने वाले किसानों की संख्या वर्ष 2012 में 1066, वर्ष 2013 में 890, वर्ष 2014 में 1400 और जून 2015 तक 263 रही है। वर्ष 2015 में जून तक महाराष्ट्र में सर्वाधिक 257 किसानों ने आत्महत्या की, पंजाब में पांच और राजस्थान में एक किसान ने आत्महत्या की.

(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)

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