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FLOP 1/2* (News Rating Point) 30.04.2016
उत्तर प्रदेश के स्टाम्प एवं निबंधन मंत्री रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया इस सप्ताह अपने विभाग के प्रमुख सचिव के साथ विवाद की वजह से चर्चा में आये. इस बार वह अपने ही विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार के फैसलों से खफा हैं. हिन्दुस्तान, नवभारत टाइम्स समेत कई अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता से छपा. हाल में विभाग के 33 लिपिकों को प्रभारी सब रजिस्ट्रार के पद पर तैनात करने के प्रमुख सचिव के फैसले को राजा भईया ने अवैध करार दे दिया. इसके अलावा अपर महानिरीक्षक निबंधन (एडीशनल आईजी) के दो पदों पर प्रमुख सचिव ने कार्मिक विभाग से डीपीसी करवाकर पांच नाम तय करवाने का जो फैसला लिया, वह भी विभागीय मंत्री को रास नहीं आया. जबकि फरवरी माह में इस फाइल पर सीएम से अनुमोदन लिया जा चुका है. हालांकि प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने सीएम के अनुमोदन के बाद अपने विभागीय मंत्री से अनुमोदन लेने के लिए उनके पास भी फाइल भेजी मगर मंत्री ने फाइल पर यह लिख दिया कि सीएम से अनुमोदन वाला अंश फाइल में नहीं है, इसलिए वह अंश भी भेजा जाए. इन दोनों ही मामलों पर विभाग के अन्य अफसर अब प्रमुख सचिव अनिल कुमार के साथ लामबंद हैं. नाम न छापने की शर्त पर अफसरों ने बताया कि प्रमुख सचिव के दोनों ही फैसले नियमों के मुताबिक हैं. चूंकि लोक सेवा आयोग में सब रजिस्ट्रार की नई भर्तियों पर रोक लगी हुई है और 25} बाबुओं को कोटे से सब रजिस्ट्रार बनाने का प्रावधान है इसलिए रोक की वजह से इन बाबुओं को प्रभारी रजिस्ट्रार बनाया गया है. जहां तक अपर महानिरीक्षक निबंधन के दो पदों पर भर्ती का सवाल है तो जब मुख्यमंत्री का अनुमोदन मिल चुका तो फिर विभागीय मंत्री के स्तर पर इस मामले में क्यों अड़ंगा लगाया जा रहा है. अनिल कुमार का कहना है कि लिपिकों को प्रोन्नति नियम से हुई. मंत्रीजी के दफ्तर से अड़गेबाजी की जा रही है. यह प्रक्रिया मंत्री के नहीं, प्रमुख सचिव के स्तर पर पूरी होती है.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)