FLOP ** (News Rating Point) 07.03.2015
“लापता राहुल गांधी” की खबरों के बीच यह सप्ताह उनके लिए कयास लगाने का रहा. कोई चैनल हो या कोई अखबार सब जगह राहुल गांधी कहाँ हैं और उनकी ताजपोशी के लिए क्या हो रहा है, इन्ही खबरों को बोलबाला रहा. कांग्रेस से सम्बंधित खबरें उनके शक्तिशाली होने की ही थीं लेकिन उनके लापता होने के चलते पब्लिक में एक निगेटिव इम्पैक्ट ही गया. अमर उजाला ने एक मार्च को लिखा- कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को तलाशने के निर्देश केंद्र सरकार समेत स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) को दिए जाने की गुजारिश वाली एक जनहित याचिका शनिवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की रजिस्ट्री में दायर की गई है. वकील अशोक पांडेय ने यह पीआईएल दाखिल की है. इसमें गुजारिश है कि केंद्र सरकार समेत एसपीजी को राहुल की तलाश करने के निर्देश दिए जाएं. अगर वे एसपीजी की सुरक्षा में नहीं हैं तो एसपीजी को उन्हें अपनी सुरक्षा में लेने के निर्देश भी दिए जाएं.
नवभारत टाइम्स ने दो मार्च को लिखा- राहुल बनाएंगे अपनी टीम- कांग्रेस में राहुल गांधी की ताजपोशी का माहौल दिखने लगा है. राहुल जल्द ही लौटकर अपनी टीम बनाने की कवायद में जुट जाएंगे. रविवार को प्रियंका गांधी को भी पार्टी में महासचिव पद की जिम्मेदारी देने की चर्चा थी, लेकिन देर शाम प्रियंका की ओर से ही इसका खंडन आ गया. अगले दिन फिर लिखा- थाइलैंड में विपश्यना कर रहे हैं राहुल- कई दिनों से सस्पेंस है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी आखिर कहां छुट्टियां बिता रहे हैं. सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी इन दिनों थाइलैंड में हैं. वह विपश्यना कोर्स के लिए वहां गए हुए हैं. विपश्यना ध्यान की एक पद्धति होती है. सूत्र बता रहे हैं कि राहुल गांधी थाइलैंड में उबान के पास एक फॉरेस्ट मॉनेस्ट्री में विपश्यना कर रहे हैं. इस खबर को एक दिन पहले एबीपी न्यूज़ ने दिखाया और फिर बाकी चैनलों ने दिखाया. कांग्रेस का इस खबर का खंडन भी चलाया गया. नवभारत टाइम्स ने तीन मार्च को लिखा- कांग्रेस में प्रदेश लेवल पर संगठन में एक साथ बदलाव किया गया है. सोमवार को दिल्ली, गुजरात, मुंबई, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर व तेलंगाना के पार्टी चीफ के नामों का ऐलान किया गया. जहां बदलाव हुआ है, वहां कांग्रेस को हाल के महीनों में हार का सामना करना पड़ा है. बताया जाता है कि चीफ के नामों पर सहमति न बन पाने की वजह से प्रदेश अध्यक्षों के बदलाव का ऐलान नहीं हो पा रहा था. दरअसल, राहुल गांधी अपने हिसाब से राज्यों की कमान सौंपना चाहते थे. अपनी पसंद के हिसाब से काम न कर पाने के चलते राहुल गांधी के नाराज होकर अचानक छुट्टी पर जाने की बात सामने आ रही है. हालांकि उनकी गैरमौजूदगी में नामों के ऐलान में ज्यादातर चेहरे उनकी पसंद बताए जा रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, यह कवायद राहुल की नाराजगी को दूर करने की कोशिश बताई जा रही है. अमर उजाला- कांग्रेस में राहुल राज आने के संकेत मिलने लगे हैं. सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक साथ पांच राज्यों के अध्यक्षों की नियुक्ति की. इनमें से ज्यादातर अध्यक्ष राहुल के करीबी माने जाते हैं. महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण, जम्मू-कश्मीर में गुलाम अहमद मीर, दिल्ली में अजय माकन, गुजरात में भरत सिंह सोलंकी और तेलंगाना में उत्तम रेड्डी को अध्यक्ष बनाया गया है. इसके साथ ही संजय निरूपम को राजनीतिक रूप से अहम मुंबई क्षेत्र का अध्यक्ष बनाया गया है.
अमर उजाला में ही चार मार्च को धीरज कनौजिया ने खबर लिखी- राहुल गांधी के नेतृत्व में अब कांग्रेस बहुसंख्यक विरोधी छवि सुधारने में जुटेगी. दरअसल, देशभर में कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रदेश कांग्रेस इकाइयों से पार्टी को उबारने और फिर से जीत के रास्ते अग्रसर करने के लिए सलाह मांगी थी. इसी राय मशविरे में कई प्रदेश कांग्रेस इकाइयों के ये विचार सामने आए हैं कि पार्टी अल्पसंख्यकों की पैरोकार बन कर सामने आ रही है. जबकि बहुसंख्यक विरोधी छवि से पार्टी को नुकसान हो रहा है. गुजरात प्रदेश कांग्रेस इकाई की ओर से यह विचार भी सामने आया है कि पार्टी गोधरा कांड के बाद उपजे गुजरात दंगों के पीड़ितों के दर्द पर मरहम लगाती सामने आई, जबकि गोधरा कांड के विरोध में पार्टी की ओर से आवाज बुलंद नहीं की गई. उत्तर प्रदेश और केरल ने तो अपने विचार संदेश में यहां तक कहा है कि पार्टी के नेताओं ने बहुसंख्यकों के धर्म स्थलों और उनके त्योहारों व कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर हिस्सा नहीं लिया, जिससे भी पार्टी के प्रति ठीक संदेश नहीं गया.
लेकिन राहुल गांधी की छवि के लिए नकारात्मक खबरें लगातार छपती रहीं. राहुल गांधी के लिए इससे ज़्यादा खराब क्या लिखा जा सकता है, टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने सागरिका घोष ने एक लेख लिखा, जिसका शीर्षक था- When The Son Goes Down और लेख की अंतिम लाइनें थीं- The most successful political dynasty in the subcontinent, the Mughals, endured for decades because grandson Akbar far outstripped grandfather Babur as emperor and each generation whether Jahangir or Shah Jahan brought uniquely distinctive talents to their jobs. Post Aurangzeb, when sons failed to surpass their fathers and grandfathers, terminal decline set in. Will Rahul then be Bahadur Shah Zafar, the last emperor, taking his party with him into the sunset?
इंडियन एक्सप्रेस में चार मार्च को खबर छपी-
Rahul ‘going into hiding shameful’: Cong students’ unit in Kerala- A college unit of Kerala Students Union, student outfit of Congress, on Tuesday passed a resolution terming AICC vice-president Rahul Gandhi’s “life in exile as a shameful situation.’’ The resolution was presented by the KSU unit at Maharaja’s College in Ernakulam in the presence of Congress state vice-president V D Satheeshan and former NSU president Hybi Eden. It said the person who should lead the party from the front has gone into hiding. It is extremely deplorable that the Congress vice-president had gone into “hiding’’ without informing anyone when the crucial budget session of the Parliament is going on. When political opponents enquire about our leader, we have no option but to escape.