14.02.2015 (News Rating Point- FLOP****)
दिल्ली चुनाव में मीडिया के निशाने पर सबसे ज्यादा भले ही नरेन्द्र मोदी रहे हों लेकिन टीवी चैनलों की तमाम डिबेट में कांग्रेस नेताओं के पास राहुल गांधी के बचाव में कोई शब्द नहीं थे. दरअसल कांग्रेस ने कभी ऐसे हश्र के बारे में सोचा नहीं होगा. इस सप्ताह की शुरुआत में सोशल मीडिया पर लगातार मज़ाक बन रहे राहुल गांधी 7 फरवरी को बहुत अरसे बाद संगठन को लेकर अखबार की ख़बरों में नज़र आये. संगठन की धीमी चाल पर उनकी चिंता और नेताओं से इसमें तेजी लाने की निर्देश और दौरे करने की अपील जैसी खबरों ने ज़्यादातर हिन्दी और अंग्रेज़ी अखबारों में जगह बनायी. द हिन्दू ने इस खबर को फ्रंट पेज बाटम लिया. जो बताता है कि मीडिया की नजर में राहुल गांधी के निर्देश महत्वपूर्ण ढंग से लिए गए. लेकिन उसके बाद से जो ख़बरें आयीं, उससे बचने के लिए कांग्रेस के पास शायद ही कोई अस्त्र हो. 11 फरवरी को दैनिक जागरण में सीतेश द्विवेदी एक स्टोरी छपी- आखिर कब सीखेंगे राहुल गांधी- इसमें कहा गया कि पिछले विधानसभा चुनाव में ‘आप’ से सीखने की नसीहत देने वाले राहुल गांधी आखिर कब सीखेंगे. दिल्ली में राहुल की हार कांग्रेस की रणनीति की सबसे बुरी पराजय है. एक दूसरी खबर थी दिल्ली में कांग्रेस का शून्यकाल.