राकेश टिकैत की न्यूज़ रेटिंग रसातल पर, अपने ही संगठन से बाहर किए गए

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नितिन श्रीवास्तव
लखनऊ। इससे शर्मनाक क्या हो सकता है कि जिस संगठन पर दूसरी पीढ़ी राज कर रही हो, उसे ही संगठन से बाहर कर दिया गया हो। आज की बड़ी खबर ये है कि नए कृषि कानून के खिलाफ सरकार से मोर्चा लेने वाले राकेश टिकैत को भारतीय किसान यूनियन से बर्खास्त कर दिया गया है। वहीं, नरेश टिकैत को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। भारतीय किसान यूनियन दो भागों बंट गया है। राकेश टिकैत वाले गुट से BKU के कई नेता अलग हो गए हैं। भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के बैनर तले नया संगठन काम करेगा। फतेहपुर के राजेश सिंह चौहान भारतीय किसान यूनियन के नए अध्यक्ष बनाए गए। ज्यादातर प्रमुख चैनलों ने इस खबर को उठाया, अखबारों की वेबसाइट्स पर भी ये खबर प्रमुखता से है।
नवभारत टाइम्स ने अपने पोर्टल पर लिखा कि भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर रविवार को राजधानी लखनऊ स्थित गन्ना किसान संस्थान में भाकियू नेताओं की एक बैठक हुई, जिसमें टिकैत परिवार के खिलाफ किसानों में उभरी नाराजगी के बाद रारेश टिकैत को बर्खास्त कर दिया गया।
वहीं, नरेश टिकैत को भी भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय पद से मुक्त कर दिया गया। किसान नेताओं में टिकैत बंधुओ के प्रति नाराजगी दिखाई दी। राकेश टिकैत ने सरकार के नए कृषि कानून का विरोध किया था। यही नहीं राकेश टिकैत के आह्वान पर यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर एक साल से ज्यादा आंदोलन चला। कृषि कानून के वापस होने के बाद ही ये आंदोलन खत्म हुआ था।
राकेश टिकैत देश में उस समय छा गए थे, जब उन्होंने गाजीपुर बॉर्डर पर रोते हुए कहा था कि बीजेपी सरकार उनकी हत्या करवाना चाहती है। उनके रोने का ये असर हुआ कि आंदोलन और बड़े स्तर तक पहुंच गया। यही नहीं इस आंदोलन में पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी अहम भूमिका निभाई।

पूरे देश में की थीं सभाएं
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहते हुए राकेश टिकैत ने पूरे देश में बीजेपी सरकार के खिलाफ जनसभाएं कीं और कृषि कानून को किसानों के लिए काला कानून बताया था। राकेश टिकैत ने बंगाल, यूपी, हरियाणा और महाराष्ट्र समेत पूरे देश में जनसभा करके कृषि कानून को किसानों के खिलाफ बताया था।

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