FLOP ***** (News Rating Point) 13.06.2015
इस सप्ताह उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा एक पत्रकार की हत्या के मामले को लेकर अखबारों चैनलों की हेडलाइंस में लगातार नज़र आते रहे. राममूर्ति सिंह की वजह से अखिलेश सरकार की पूरे देश में फजीहत हुई. वर्मा के खिलाफ पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या और साजिश रचने का केस मंगलवार को दर्ज हुआ. मामले में सदर कोतवाली के तत्कालीन प्रभारी श्रीप्रकाश राय समेत पांच अन्य पर भी हत्या, साजिश रचने, जान से मारने की धमकी देने की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है. एक जून को पुलिस की दबिश के दौरान जगेंद्र अपने घर में ही जल गए थे. जगेंद्र को पुलिस अपहरण और हत्या की कोशिश के मामले में गिरफ्तार करने गई थी. पिछड़ा वर्ग विभाग के मंत्री राम मूर्ति वर्मा पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्या में नामजद हैं. पत्रकार जगेंद्र ने मंत्री के खिलाफ सोशल मीडिया पर मुहिम चला रखी थी. जगेंद्र ने मंत्री के खिलाफ शाहजहांपुर के जमौर में जमीन कब्जा करने, नाले पर कब्जा करने के खुलासे किए थे. इसके बाद से मंत्री उनसे नाराज थे और पुलिस के जरिए धमका रहे थे. राम मूर्ति वर्मा पहले भी कई मामलों में चर्चित रहे हैं. 1 जून की दोपहर तीन बजे पत्रकार जगेंद्र ने प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी. इस कॉन्फ्रेंस में वह पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्य मंत्री राममूर्ति वर्मा को पूरी तरह एक्सपोज करने वाले थे. उन्होंने मंत्री के खिलाफ सारे सबूत एकत्र कर लिए थे, लेकिन कॉन्फ्रेंस से एक घंटे पहले ही उन्हें जला दिया गया. यह दावा जगेंद्र की पत्नी सुमन ने किया है. सुमन का कहना है कि राममूर्ति और जगेंद्र की लड़ाई ज्यादा पुरानी नहीं थी. एक महिला के साथ हुए रेप के खिलाफ आवाज उठाने के बाद लड़ाई बढ़ती चली गई. जगेंद्र की हत्या के आरोपी राज्यमंत्री राममूर्ति सिंह वर्मा पर कार्रवाई को लेकर यूपी सरकार पर लगातार दबाव रहा. राज्यपाल राम नाईक ने दखल देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को इस मामले की गहराई से जांच कराने के लिए पत्र भी लिखा.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)