(News Rating Point) 11.03.2016
रमेश यादव मूल रूप से एटा के बाकलपुर गांव के रहने वाले हैं. वह 31 जनवरी 2015 को चौथी बार विधान परिषद सदस्य चुने गए. उनका कार्यकाल 30 जनवरी 2021 तक है। 1977 में मुलायम जब प्रदेश के सहकारिता मंत्री थे, तो उन्होंने रमेश यादव को एटा जिला उपभोक्ता सहकारी संघ का अध्यक्ष बनाया था. समाजवादी पार्टी की स्थापना से लेकर अब तक वह एटा में पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं. विधान परिषद के सभापति तक की यह एक रोडवेज क्लर्क के जीवन की लंबी और विजय से परिपूर्ण राजनीतिक यात्रा है. विधान परिषद सभापति रमेश यादव एक बड़े मुकाम तक पहुंचे. उनकी सफलता ने एटा का नाम रौशन किया. सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति में उतरे रमेश यादव सपा में रहे और उनका करियर बेदाग और शानदार रहा. विधान परिषद का अध्यक्ष के पद पर उनका चुनाव उनकी पार्टी के प्रति निष्ठा का पुरस्कार समझा जाता है. एटा जिले में विधान परिषद सभापति जैसा संवैधानिक पद पहली बार किसी को मिला है. निधौली कलां ब्लॉक के गांव बाकलपुर के गजराज सिंह यादव के पांच बेटों में सबसे बड़े रमेश यादव ने पढ़ाई के बाद रोडवेज में क्लर्क की नौकरी की. मगर, उन्हें नौकरी रास नहीं आई. वह इस्तीफा देकर इमरजेंसी के बाद वर्ष 1978 में पहली बार सहकारी उपभोक्ता भंडार के अध्यक्ष बने. सपा के गठन के साथ ही उन्होंने मुलायम सिंह का दामन थाम लिया. वर्ष 1985 में सपा की सीट पर पहली बार निधौली कलां क्षेत्र से विधायक चुने गए. इसके बाद प्राधिकारी सीट मथुरा-एटा-मैनपुरी से 1990 में एमएलसी चुने गए. इसके 3 साल बाद फिर एमएलसी का चुनाव हुआ और वर्ष 2003 में वे दूसरी बार एमएलसी बने. वर्ष 2009 में तीसरी बार और वर्ष 2015 में चौथी बार एमएलसी निर्वाचित हुए.