(News Rating Point) 22.05.2016
सर्वोदयी नेता सुब्बा राव की प्रेरणा से संजय सिंह समाज सेवा के क्षेत्र में उतरे. पहले चम्बल और बीहड़ उनका कार्यक्षेत्र था. अब वह बुंदेलखंड के लिए समर्पित है. जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने उन्हें ‘जल जन जोड़ो अभियान’ का राष्ट्रीय संयोजक बनाया. बुंदेलखंड के हालात पर दैनिक जागरण ने उनका एक बड़ा साक्षात्कार प्रकाशित किया.
संजय सिंह का कहना है कि बुंदेलखंड का बड़ा संकट है सामंतवाद. इसके बारे में कोई कहता नहीं लेकिन वहां की रियासतों की सोच रही है कि वैचारिक रूप से लोग मजबूत न हो पायें और उनके जेहन में राजशाही बसी रहे. आपातकाल के बाद बुंदेलखंड में कभी आन्दोलन नहीं हुए. राजनीतिक निर्णय लेने में भी बुंदेलखंड की हिस्सेदारी नहीं रही. बुंदेलखंड के लिए हमेशा दया का भाव रखा गया लेकिन अधिकार संपन्न बनाने के लिए कभी नहीं सोचा गया. उनका मानना है कि पहले खेती से पशुधन से ज़्यादा लाभ देता था. गोवंश आमदनी का बड़ा केंद्र था. हाल के दिनों में पशुवंश ही उजड़ गया. अब तो भैंस और बकरी ही लोगों ने पाल रखी है, बाकी सब छोड़ दिए. लोगों ने पलायन को ज़िन्दगी का हिस्सा समझ लिया है. हालात सुधारने के लिए यहाँ किसानों और जवानों को ज़िंदा करना होगा. जवानी गाँव में ही रुके और किसानी में लगे, इसके लिए प्रयास करने होंगे. एक सर्वे बताता है कि यहाँ के 48 फीसदी छोटे किसान मजदूरी करने लगे हैं. ऐसे लोगों के कौशल विकास के लिए सरकार को कागजी नहीं जमीनी काम करना होगा. कृषि आधारित उद्योग लगने से यहाँ लोगों को रोज़गार तो मिलेगा ही, बाज़ार भी मिलेगा. इनकी राय है कि किसानों का संकट कर्जमाफी के बिना ख़त्म होने वाला नहीं है. कर्जमाफी करके किसानों को फिर से खड़ा किया जा सकता है. इससे आत्महत्याएं रुकेंगी. किसानों को पैसे देने से ज़्यादा जरूरी है, परिवार का पुनर्वासन.