क्या एटा से लड़ेंगे शिवपाल चुनाव !

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(NRP) 07.04.2016
उत्तर प्रदेश में २०१७ के विधान सभा चुनावों की तैयारियों में समाजवादी पार्टी सबसे आगे दिखाई दे रही है। पार्टी ने करीब डेढ़ सौ सीटों पर अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं। एटा को मुलायम सिंह यादव अपना दूसरा घर बताते हैं और एटा समाजवादी पार्टी  का गढ़ भी माना जाता हैं।  परन्तु सूत्रों के अनुसार  इस बार एटा जिले में समाजवादी पार्टी के नेताओ की आपसी गुटवन्दी को लेकर सपा सुप्रीमो चिंतित  हैं और इसी गुटवाजी से सपा को बचाने के लिए २०१७ के चुनाव में एटा सदर विधान सभा सीट से सैफई खानदान समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल यादव को उतारने की रणनीति बना रहा हैं। इसका एक कारण  यह भी हैं कि शिवपाल यादव के सुपुत्र आदित्य यादव की इस बार जसवंत नगर विधान सभा सीट से राजनीतिक पारी की शुरुआत करने की रणनीति भी लगभग बन चुकी हैं।  ऐसे में एटा में समाजवादी पार्टी का गढ़ होने और यहां समाजवादी पार्टी में भयंकर गुटवाजी  होने  के कारण समाजवादी पार्टी शिवपाल यादव को विधान सभा का प्रत्याशी बनाकर एक  तीर से दो निशाने साधने की फिराक में दिखती हैं। समाजवादी पार्टी  के रणनीतिकार यह भी मानते  हैं इटावा , मैनपुरी , फिरोजाबाद, बदायूं ,कन्नौज ,आजमगढ़ पर सीधे सीधे सैफई खानदान का वर्चस्व होने के बाद अब एटा में भी सैफई खानदान का कब्ज़ा जमाने का यह सुनहरा मौका हैं जिस से एटा सीधे सीधे सैफई खानदान के नेतृत्वकर्ता के पास आ जायेगा और एटा के गुटबाज समाजवादी पार्टी के नेताओ की दुकान बंद हो जायेगी जो आपसी गुटबाजी  के चक्कर में एटा में समाजवादी पार्टी को लगभग हासिये पर ला चुके हैं जिस से सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव बखूबी परिचित हैं।
शिवपाल यादव के एटा सदर (१०४ ) विधान सभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावनाओं के चलते एटा में समाजवादी पार्टी के नेताओ की नेतागीरी ठंडी होना तय माना जा रहा है। इस बात को लेकर एटा के समाजवादी पार्टी  के नेताओ की बेचैनी रातो रात  बढ़ गयी है और वे किसी प्रकार इस  राजनीतिक संकट से निकलने का तरीका खोज रहे हैं। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के आलावा  शिवपाल  यादव का भी एटा से गहरा राजनीतिक लगाव रहा है। मुलायम सिंह यादव तो एटा जिले की निधौली कल (तत्कालीन) वर्तमान में मारहरा सीट से चुनाव भी  लड़ चुके हैं। यही नहीं एटा जिले से बड़े बड़े राजनीतिक दिग्गज चुनाव लड़ते रहे हैं जिसमे मुलायम सिंह यादव के अतिरिक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री रामनरेश यादव (वर्तमान में मध्य प्रदेश के राज्यपाल ) और तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री और एक  बार एटा से लोक सभा के सांसद रहे ( वर्तमान में राजस्थान के राज्यपाल )  कल्याण सिंह भी तत्कालीन एटा जिले से विधान सभा  का चुनाव लड़ चुके हैं। वर्तमान  में एटा जिले की चारो विधान सभा सीटों पर सपा का कब्ज़ा हैं।
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव भी हमेशा से कहते रहे हैं हैं कि एटा उनका दूसरा घर हैं और यह उनके लिए राजनीतिक रूप से हमेशा ही शुभ रहा है।  जब भी वे विधान सभा चुनाव का श्री गणेश करते हैं तो वह एटा से ही होता है और जब जब उन्होंने एटा से विधान सभा चुनाव की शुरुआत की है तब तब सूबे में सपा की सरकार बनी हैं। इस बार भी ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि २०१७ के चुनाव का श्रीगणेश भी एटा से ही किया जाएगा।  शिवपाल यादव की एटा सदर सीट से उम्मीदवारी को लेकर सपा के अतिरिक्त अन्य राजनीतिक पार्टिया भी अपने अपने समीकरणों को खगालने में जुट गयी है। कल तक जहां अन्य पार्टियों में टिकट लेने वालो की लाइन लगी हुई थी और टिकट करोडो में बिक रहे थे आज बदले हुए राजनीतिक हालातो में एटा सदर विधान सभा के अन्य पार्टियों के टिकट के कारोबार में भी मंदी छा गयी हैं। खबर यह भी है कि बदले राजनीतिक समीकरणों के चलते एटा के कुछ समाजवादी पार्टी के नेता अपना अस्तित्व बचाने के चक्कर में अंदरखाने अन्य पार्टियों में भी अपना भविष्य तलाश कर रहे हैं। (राकेश प्रताप सिंह, एटा / कासगंज)

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