(News Rating Point) 27.05.2016
लखनऊ : माल ब्लॉक के लतीफपुर गांव की राजधानी लखनऊ से दूरी तो महज 35 किलोमीटर ही है, लेकिन अब तक यह गांव डिवेलपमेंट-टेक्नॉलजी से कोसों दूर था। हाल ही में हुए चुनाव में MCA डिग्री होल्डर श्वेता ग्राम प्रधान चुनी गईं। पांच महीने पहले 1600 आबादी के जिस गांव को कोई नहीं जानता था, वह गांव अब गूगल पर भी नजर आने वाला है। श्वेता बताती हैं कि www.digitallatifpur.com डोमेन से गांव की वेबसाइट पर काम चल रहा है। नवभारत टाइम्स योगेंद्र अवस्थी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि श्वेता 2008 में शादी के बाद लतीफपुर आईं और ससुरालवालों के सहयोग से गांव की हालत सुधारना शुरू कर दिया। श्वेता ने सरकारी योजनाओं के बारे में आरटीआई से जानकारियां लेकर गांव वालों को उनका फायदा दिलवाना शुरू किया। यहां महीने में 20 दिन राशन बंटता है। अब वह गांव का डिजिटल मैप भी बनवा रही हैं।
टेक्नॉलजी से जुड़ने को श्वेता ग्रामीणों को लगातार प्रोत्साहित करती रहती हैं। गांव की वेबसाइट बनवा रही हैं। सभी सरकारी सुविधाओं के ऑनलाइन आवेदन की भी व्यवस्था करवाई जा रही है। गांव के सभी परिवारों का डेटा जुटाकर डिजिटल परिवार रजिस्टर बनाने पर काम चल रहा है। गांव में अवैध कब्जे और आए दिन झगड़े न हों, इसके लिए डिजिटल मैप बनवा रही हैं। प्रधान ने गांव के 437 परिवारों का मैसेज ग्रुप बनाया है। सरकारी योजनाओं की जानकारी वह पूरे ग्रुप को SMS से देती हैं। लतीफपुर, राजधानी की पहली ग्राम पंचायत है, जहां मनरेगा से 300 मीटर सड़क की इंटरलॉकिंग हो चुकी है। छोटे-बड़े 32 रास्ते भी बन चुके हैं। वित्त आयोग से मिलने वाली रकम से हैंडपंप और रीबोरिंग हुई। 24 खराब हैंडपंपों में 19 ठीक हो चुके हैं। पांच साल की कार्य योजना का ड्राफ्ट सबसे पहले विकास भवन को भेजा है। सीडीओ प्रशांत शर्मा का कहना है कि लतीफपुर गांव अन्य गांवों के लिए वाकई नजीर है। ग्राम पंचायत ने सरकारी कामकाज में खुद को पेपरलेस तक कर दिया है।