HIT ***** (News Rating Point) 25.04.2015
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव चुने जाने के चलते सीताराम येचुरी चर्चा में रहे. प्रकाश करात ने पद के लिए येचुरी के नाम का प्रस्ताव दिया और एस रामचंद्रण पिल्लई ने इसका अनुमोदन किया. पूरे देश के मीडिया ने इस खबर को प्रमुखता से लिया. साथ ही येचुरी के सामने आनेवाली चुनौतियों की भी चर्चा की.
सीताराम येचुरी को सर्वसम्मति से रविवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का महासचिव चुन लिया गया. पार्टी अब येचुरी के सहारे आगे बढ़ेगी. वह पार्टी में यह पद संभालने वाले पांचवें नेता हैं.
– दैनिक जागरण
येचुरी ने कहा कि ‘वाम ताकतों का विलय तय है. लेकिन पहला मुद्दा पार्टी को मजबूत बनाना है. यह इस पर आधारित होगा कि वामदलों की एकता के लिए कौन से काम किए जाएंगे और वामदलों व धर्मनिरपेक्ष ताकतों को कैसे साथ लाया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि ‘विलय की निश्चित समयसीमा तय नहीं है. लेकिन हम यह प्रयास कर रहे हैं कि यह जल्द से जल्द हो जाए. इसमें दो महीने अथवा छह महीने भी लग सकते हैं. यह अवश्य होगा, क्योंकि यह हमारा दृढ़ संकल्प और वादा है.’
– अमर उजाला
Mr Yechury’s name had been proposed after party stalwart S Ramachandra Pillai decided to withdraw from the race for the general secretary’s post. Mr Yechury had received support from the party unit from West Bengal, which he represents in the Rajya Sabha.
– NDTV
According to sources, what turned the tide in Yechury’s favour was the pressure exerted on Sunday morning by a majority of delegates on members of the party’s Central Committee (CC) from their respective states, after they realised that the politburo was tilted towards Pillai.
– The Indian Express
Sitaram Yechury is the fifth general secretary of the 50-year-old party. Yechury replaces Prakash Karat who has stepped down after three terms.
– The Times of India
Party leaders supported the election, saying there is need for a change in the party. “Even though there were members from Kerala who were against this, it is a good decision for the party. The party faces a serious crisis in north India. Yechury has a presence in north India, which will also help push the party,” said a member of the CPM, on the condition of anonymity.
– Live Mint
The Communist Party of India (Marxist) would intensify its struggle against the present Government’s “anti-people and anti-working class” polices and mount pressure on it to change them, party general secretary Sitaram Yechury said in Visakhapatnam on Sunday. Yechury, who was elected as the general secretary of the party at its 21st national Congress that ended in Visakhapatnam, said this while addressing a public meeting here.
– Daily News & Analysis
We are not talking about electoral alliances or any pact with the Left parties. We are not seeking their support to secure our future. We appeal to the Congress and other parties to come together on different issues to secure the future of this country. We will be friendly with like-minded parties but will not compromise on our policies.
– Hindustan Times
माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी को एक डूबते जहाज का कप्तान बताते हुए शिवसेना ने आज कहा कि वाम दल देश में अपनी प्रासंगिकता खो बैठा है और इसमें एक मजबूत विपक्ष के तौर पर उठ खड़े होने की हिम्मत नहीं है.
– हिंदुस्तान
आंध्र प्रदेश के 63 वर्षीय येचुरी उदारवादी सोच वाले नेता माने जाते हैं और अर्थशास्त्र तथा गठजोड़ की राजनीति के माहिर हैं. येचुरी इससे पहले पार्टी के अंदरूनी फ़ोरम पर पार्टी की कुछ नीतियों पर सवाल भी उठाते रहे हैं.
– बीबीसी
1977-78 के दौरान येचुरी जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष भी चुने गए. 1978 में उन्हें स्टुडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया का अखिल भारतीय महासचिव चुना गया. 1986 में उन्होंने अध्यक्ष के तौर स्टुडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया को छोड़ने का फैसला लिया. 1984 में येचुरी को सीपीएम की सेंट्रल कमेटी की बैठक में पहली बार निमंत्रित किया गया. 1985 में सीपीएम के बारहवें अधिवेशन में उन्हें सेंट्रल कमेटी में शामिल किया गया. 1992 में सीताराम येचुरी को पोलित ब्यूरो का सदस्य बनाया गया. इसके बाद वे पार्टी के इंटरनेशनल विंग के हेड रहे.
– एनडीटीवी
कुल 91 सदस्यों वाली केंद्रीय समिति ने सर्वसम्मति से इस प्रस्ताव को मंजूरी दी. करात ने बाद में मीडिया के समक्ष औपचारिक घोषणा कर इस बात की सूचना दी.
– एबीपी न्यूज़
रामचंद्रन पिल्लई भी प्रबल दावेदार थे, लेकिन अंत में पार्टी के प्रतिनिधियों ने सीताराम येचुरी पर भरोसा जताया. इसके पीछे पार्टी का युवा नेतृत्व का तर्क है.
– ज़ी न्यूज़
निवर्तमान महासचिव प्रकाश करात ने पद के लिए येचुरी के नाम का प्रस्ताव दिया और एस रामचंद्रण पिल्लई ने इसका अनुमोदन किया. अपने चुनाव के पहले, येचुरी महासचिव पद की दौड में सबसे आगे माने जा रहे थे.
– प्रभात खबर
पिछले चुनावों में पार्टी के हार के कारणों और कामरेड करात की नीतियों पर येचुरी सवाल उठाते रहे हैं. फिर येचुरी का सिर्फ 63 साल का होना, हिन्दी भाषा की अच्छी जानकारी होना और लंबे समय से संसदीय राजनीति में सक्रिय होना भी उनके काम आया. कहा जा रहा है कि महासचिव बनाए जाने के लिए सीताराम को पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा यूनिट के अलावा कई हिंदीभाषी राज्यों की सीपीएम यूनिट का समर्थन मिला है.
– दैनिक भास्कर
पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक में निवर्तमान महासचिव प्रकाश करात ने नए महासचिव के पद के लिए येचुरी का नाम प्रस्वावित किया और एस. आर. पिल्लई ने इसका समर्थन किया.
– देशबंधु
येचुरी उन दो नेताओं में से थे, जिन्हें पार्टी महासचिव पद के लिए दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था. येचुरी के अलावा महासचिव पद के लिए दूसरी दावेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पोलित ब्यूरो सदस्य एस रामचंद्रन पिल्लई की थी. येचुरी के सीपीएम महासचिव बनना बहुत चुनौतीपूर्ण साबित होगा.
– राजस्थान पत्रिका
एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि येचुरी को हरकिशन सिंह सुरजीत की परंपरा का उदार चेहरा माना जाता है. वे यूपीए-1 के दौरान कांग्रेस को समर्थन देने के पक्षधर नेताओं में प्रमुख थे. जनता परिवार के तमाम नेताओं के साथ उनके सहज रिश्ते हैं.
– हिंदुस्तान
अपने चुनाव के पहले, येचुरी महासचिव पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे थे. महासचिव चुने जाने के बाद सीपीएम बैठक को संबोधित करते हुए येचुरी ने कहा कि यह हमारी पार्टी के और देश के भविष्य का सम्मेलन है.
– नवभारत टाइम्स