सियासी हलकों में है डॉ. महेंद्र सिंह की Hidden power की चर्चा

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आदेश शुक्ला
लखनऊ। वैसे मां का दुनिया से दूर चले जाना किसी भी व्यक्ति के लिए भावनात्मक कष्ट सहन करने का समय होता है लेकिन कुटिल राजनीति में हर बात के मायने निकाले जाते हैं। सियासी हलकों में मंगलवार से डॉक्टर महेंद्र सिंह की ‘हिडन पॉवर’ (Hidden power) को लेकर चर्चा है। चर्चा का विषय इसलिए ज्यादा बना क्योंकि बीजेपी के संगठन और सरकार के ज्यादातर प्रमुख लोग उनकी मां को श्रद्धांजलि देने प्रतापगढ़ स्थित उनके गांव करमाही पहुंचे थे।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नए कार्यकाल में जब उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों की जानकारी हुई और जब यह पता चला कि इसमें डॉ. महेंद्र सिंह का नाम नही है तो लोगों को आश्चर्य हुआ। साथ ही ये स्थापित हुआ कि महेंद्र सिंह बीजेपी में अब उतने ताकतवर नहीं रहे लेकिन उनकी माता के निधन के बाद जिस तरह से सियासी रसूख वाले लोगों के उनके पैतृक घर करमाही पहुंचने का तांता लगा, वो दर्शाता है कि हैसियत कायम है।


मंगलवार को करमाही में डॉ. महेंद्र सिंह की माताजी इंदुमती सिंह की तेरहवीं थी। इसमें बीजेपी के प्रमुख मंत्री, राजनेता, विधायक और अफसर जिस तरह से नजर आए, वो इशारा कर रहे है कि महेंद्र सिंह के पास मंत्रीपद भले ही न हो लेकिन कि पार्टी और सरकार में उनकी दमदार पोजिशन है। मंगलवार को जिस तरह से यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या, ब्रजेश पाठक और महामंत्री संगठन सुनील बंसल एकसाथ पहुंचे तो इस माहौल ने अहसास कराया कि महेंद्र सिंह का प्रभाव बना हुआ है।
वैसे इससे पहले शनिवार को ही मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ करमाही गांव में बने हेलीपैड पर उतर कर डा. महेंद्र सिंह के घर संवेदना व्यक्त करने पहुंचे थे। उन्होंने उनकी मां इंदुमती सिंह के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित दी थी और कुछ देर उनके परिवार के सदस्यों से मुलाकात की। उनके साथ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी थे।
मंगलवार को तेरहवीं में पहुंचने वाले कुछ प्रमुख नाम पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विनय कटियार, विधानपरिषद सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह, पूर्व डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा हैं। इसके अलावा तमाम मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी, गुलाबो देवी, जेपीएस राठौर, दिनेश प्रताप सिंह, रामकेश निषाद, कपिल देव अग्रवाल, संजय गंगवार, गिरीश यादव, बृजेश सिंह, जसवंत सिंह सैनी, दिनेश खटीक आदि थे। विधायक और अफसरों पर भी सियासत पर नजर रखने वालों की नजर बनी हुई थी।

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