FLOP ** (News Rating Point) 12.09.2015
विश्व हिंदी सम्मेलन के एक दिन पहले बुधवार को विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के कथित विवादित बयान से माहौल एकदम गरमा गया. एक ऑडियो टेप में कथित रूप से वह कह रहे हैं कि अब की बार का सम्मेलन प्रसार और विस्तार का है इसलिए कई लोगों को लग रहा होगा, कि वहां जाते थे, खाते-पीते थे, और दारू पीते थे. अपने आलेख पढ़ते थे और सम्मेलन समाप्त, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. हिंदी के जाने माने साहित्यकारों और लेखकों ने सिंह के इस बयान की कड़ी आलोचना की. हालांकि सिंह ने तुरंत सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. देश के मशहूर संस्कृतिकर्मी अशोक वाजपेयी ने इसे साहित्यकारों और लेखकों का अपमान बताया. अमर उजाला ने लिखा कि उनका कहना था कि विश्व हिंदी सम्मेलन के अवसर पर एक मंत्री का यह बयान मूर्खतापूर्ण है और हिंदी लेखकों का सार्वजनिक अपमान है. साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त कवि राजेश जोशी ने भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. वरिष्ठ आलोचक और साहित्यकार डॉ. नामवर सिंह ने बरसते हुए कहा कि दुनिया जानती है कि उन्हें साहित्य और साहित्यकारों की कितनी गहरी समझ है. वरिष्ठ कथाकार मैत्रेयी पुष्पा कहती हैं कि सत्ता में बैठे लोगों को साहित्य और साहित्यकारों के बारे में ऐसी राय रखना उनकी ओछी सोच को दर्शाता है.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)