आकाश सक्सेना की न्यूज़ रेटिंग आकाश में, जबरदस्त कवरेज

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एनआरपी डेस्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की रामपुर विधानसभा सीट पर अब बीजेपी का कब्जा हो गया है. रामपुर आजम खान का गढ़ है. एक मामले में दोषी पाए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई थी, इसलिए यहां उपचुनाव कराए गए थे. उपचुनाव में बीजेपी के आकाश सक्सेना ने रामपुर में सपा के आसिम रजा को हरा दिया. रामपुर में बीजेपी की ये पहली जीत है. इसी के साथ आकाश सक्सेना का सियासी ग्राफ में जबरदस्त इजाफा हुआ है. कोई भी न्यूज़ चैनल और अखबार नही था, जिसने इस खबर को तवज्जो न दी हो. पीएम नरेंद्र मोदी ने रामपुर की जीत का उल्लेख कर इसे और खास बना दिया.
रामपुर एक ऐसी विधानसभा सीट है, जहां दशकों तक आजम खान का कब्जा रहा. महज 32 साल की उम्र में आजम खान यहां से पहली बार विधायक बन गए थे. 1980 से 2022 तक आजम खान यहां से 10 बार विधायक चुने गए. इस दौरान आजम खान एक बार राज्यसभा और एक बार लोकसभा भी गए.
यहां आजम खान का दबदबा किस हद तक कायम है, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि 2017 और 2022 में प्रचंड जीत के बावजूद बीजेपी रामपुर में नहीं जीत सकी थी. ऐसे में ये जानना भी जरूरी है कि आखिर आकाश सक्सेना कौन हैं? जिनकी बदौलत रामपुर में पहली बार कमल खिल सका है.
आकाश सक्सेना पहली बार विधायक बने हैं. लेकिन वो जिस परिवार से आते हैं, उसका राजनीति और बीजेपी से बहुत पुराना संबंध है.
उनके पिता शिव बहादुर सक्सेना को बीजेपी के शुरुआती सदस्यों में से एक माना जाता है. शिव बहादुर सक्सेना स्वार सीट से चार बार विधायक रहे हैं. उत्तर प्रदेश में जब कल्याण सिंह की सरकार थी, उसमें शिव बहादुर सक्सेना मंत्री भी थे.
2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने शिव बहादुर सक्सेना को आजम खान के खिलाफ उतारा था, लेकिन वो 46 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हारे. 2022 में बीजेपी ने आकाश सक्सेना को उम्मीदवार बनाया और वो भी आजम खान से 55 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से हार गए. यूपी में इस साल जब चुनाव हुआ था, तब आजम खान जेल में बंद थे.
46 साल के आकाश सक्सेना ने 12वीं तक की पढ़ाई की है. उनके एफिडेविट के मुताबिक, वो अपना कारोबार करते हैं और उनके पास 5 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. आकाश सक्सेना वही शख्स हैं, जो आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम के खिलाफ कई मामलों में शिकायतकर्ता हैं.
आजम खान से वोटिंग का अधिकार भी जिनकी शिकायत पर छीना है, वो आकाश सक्सेना ही हैं. आकाश ने ही पिछले महीने चुनाव आयोग को अर्जी देकर आजम खान का नाम वोटिंग लिस्ट से हटाने की मांग की थी.
आजम खान को इसी साल अक्टूबर में एमपी-एमएलए कोर्ट ने हेट स्पीच का दोषी मानते हुए 3 साल कैद और 2 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी. इसलिए आकाश सक्सेना ने उनका नाम वोटिंग लिस्ट से हटाने की मांग की थी, क्योंकि जनप्रतिनिधि कानून के तहत अगर किसी सांसद या विधायक की सदस्यता रद्द होती है तो उसका नाम वोटर लिस्ट से तुरंत हटा दिया जाए.
इसके अलावा आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के बर्थ सर्टिफिकेट के मामले में भी आकाश सक्सेना ही शिकायतकर्ता हैं. आकाश सक्सेना ने ये आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया था कि अब्दुल्ला आजम के पास दो अलग-अलग बर्थडेट वाले सर्टिफिकेट हैं. एक सर्टिफिकेट में अब्दुल्ला की बर्थडेट 1 जनवरी 1993 है तो दूसरे में 30 सितंबर 1990. इस मामले में दिसंबर 2019 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उन्हें अयोग्य ठहरा दिया था. हाई कोर्ट के फैसले को अब्दुल्ला आजम ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, लेकिन ऊपरी अदालत ने अयोग्यता के फैसले को बरकरार रखा.
रामपुर मुस्लिम बहुल सीट है. यहां की करीब 60 फीसदी आबादी मुस्लिम है. जबकि 40 फीसदी हिंदू हैं. 1980 में पहली बार आजम खान यहां से विधायक बने थे. तब आजम खान जनता पार्टी (सेक्युलर) के नेता थे.
चार दशकों में सिर्फ 1996 में ही एक ऐसा मौका आया था, जब कांग्रेस के अफरोज अली खान ने आजम खान को मात दी थी.
रामपुर में पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव हुए थे. तब कांग्रेस के फजल-उल-हक यहां से विधायक बने थे. 1952 से अब तक कभी भी यहां कोई हिंदू उम्मीदवार नहीं जीत सका था. आकाश सक्सेना न सिर्फ रामपुर से बीजेपी के पहले विधायक हैं, बल्कि हिंदू विधायक भी हैं.

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