लखनऊ। विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के प्रभावी प्रयास करते समय हमें इस बात का भी ध्यान देना होगा कि समुदायों के बीच आबादी का संतुलन न बिगड़े। ऐसा न हो कि एक वर्ग विशेष की आबादी तो तेजी से बढ़ जाए और जो यहां के मूल निवासी हैं उनकी आबादी कम हो जाए। उनका यह बयान इतना चर्चा में आया की चैनलों ने इस प्रमुखता से लिया। सोमवार को लखनऊ से लेकर दिल्ली के अखबारों में यह बयान प्रमुखता से छपा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर बाइक रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया और नव दंपत्तियों को शगुन किट भी बांटी। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर टेली कंसल्टेंसी के माध्यम से परिवार नियोजन सेवाओं की औपचारिक शुरुआत भी की।
पांच कालिदास मार्ग स्थित अपने सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि जिन देशों की जनसंख्या ज्यादा है, वहां जनसांख्यकीय असंतुलन चिंता का विषय बनता जा रहा है। इससे धार्मिक जनसांख्यकीय पर विपरीत असर पड़ता है जिसके कारण एक समय के बाद वहां अव्यवस्था, अराजकता जन्म लेने लगती है।
ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों से भी मत, मजहब, वर्ग व सम्प्रदाय पर एक समान रूप से जोड़ा जाना चाहिए। इस कार्य के लिए आशा वर्कर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक गण, त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रतिनिधि महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
जनसंख्या नियंत्रण के लिए धर्मगुरुओं का भी सहयोग लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक समुदाय विशेष में मातृ व शिशु मृत्यु दर दोनों ही ज्यादा है। अगर दो बच्चों के जन्म के बीच अंतराल कम है तो इसका खामियाजा मातृ और शिशु मृत्यु के रूप में भुगतनी होती है, इसकी कीमत समाज भी चुकाता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि वर्ष के अंत तक विश्व की आबादी 800 करोड़ पहुंचने की संभावना है। भारत की आबादी 140 करोड़ के आसपास है और यूपी में भी 24 करोड़ की आबादी है, जो जल्द ही 25 करोड़ की संख्या को पार कर जाएगी। जनसंख्या नियंत्रण के लिए जागरूकता का सबसे अधिक महत्व है, लेकिन यह जिम्मेदारी सिर्फ स्वास्थ्य विभाग की ही नहीं है। नगर विकास, ग्राम्य व शिक्षा विभाग सभी को इससे जुड़ना होगा।
अंतर्विभागीय समन्वय से ही बेहतर नतीजे सामने आएंगे। जैसे मस्तिष्क ज्वर के नियंत्रण में अंतर्विभागीय समन्वय से इस बीमारी से बच्चों की होने वाली मौत को 95 प्रतिशत तक कम किया गया। उन्होंने कहा कि बीते पांच वर्ष में यूपी में काफी अच्छे परिणाम सामने आए हैं। संपूर्ण टीकाकरण 51.1 प्रतिशत से बढ़कर 70 प्रतिशत हो गया है। संस्थागत प्रसव की दर जो पहले 68 प्रतिशत थी अब वह 84 प्रतिशत है।
मैटरनल एनीमिया 51.1 प्रतिशत से घटकर 45.9 प्रतिशत हो गई है। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं, किंतु उपभोग करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है कि जनसंख्या नियंत्रण के ठोस प्रयास किए जाएं।