एनआरपी डेस्क
कानपुरः अमेरिका ने अपनी H-1B वीजा पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया तो अपने बच्चों के करियर की चिंता में पैरंट्स परेशान हो गए, लेकिन विशेषज्ञ कुछ अलग ही इशारा दे रहे है। आईआईटी-कानपुर में प्लेसमेंट से जुड़े रहे एक शख्स के अनुसार, H-1B वीजा के लिए 1 लाख डॉलर देने का नुकसान अधिकतम 6-12 महीने तक रहेगा। गूगल, एमेजॉन, मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां फ्रेशर्स को अमेरिका की जगह आयरलैंड या ऑस्ट्रेलिया ले जाएंगी। घबराने की जरूरत नहीं है। पिछले वर्षों के मुकाबले प्लेसमेंट पर अधिकतम 10-15% असर ही दिख सकता है। एक्सपर्ट का मानना है कि IT कंपनियां अमेरिका नहीं तो आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया ले जाएंगी। साथ ही भारत में बूम आने की उम्मीद भी जताई जा रही है। नाम न छापने की शर्त पर आईआईटी कानपुर के एक्सपर्ट ने कहा कि कुछ लोगों का अमेरिका में जॉब का सपना टूटेगा, लेकिन अमेरिकी पॉलिसी का असर पहले से ही आने लगा था।