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(Published on 01.02.2017)
जिस मुख्तार अंसारी की पार्टी को सपा से रोकने के लिए अखिलेश यादव किसी भी कीमत पर तैयार नहीं थे. उसी मुख्तार अंसारी को बहुजन समाज पार्टी ने हाथोहाथ लिया. इस महीने उत्तर प्रदेश के बाहुबली अंसारी बंधु औपचारिक तौर पर मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी में शामिल हो गये. इसके साथ ही मायावती ने परिवार के तीन लोगों को बीएसपी का टिकट भी थमा दिया. 6 महीने पहले ही उन्होंने अपनी पार्टी कौमी एकता दल का विलय समाजवादी पार्टी में किया था. शिवपाल यादव उनकों समाजवादी पार्टी में लेकर आए थे. माना जाता है कि उनकी वजह से ही मुलायम परिवार में फूट की नींव पड़ी. लेकिन बसपा में शामिल होकर मुख्तार परिवार ने बड़ी सफलता हासिल की है. इसके साथ ही मायावती ने टिकट का भी ऐलान कर दिया. मऊ से मुख्तार अंसारी को, घोसी से मुख्तार के बेटे अब्बास को तो मोहम्मदाबाद से मुख्तार के भाई सिबकतुल्ला अंसारी को टिकट मिला. बसपा ने मऊ से मनोज राय को टिकट दिया गया था तो मोहम्मदाबाद से विनोद राय को टिकट दिया गया था. इनके टिकट काट दिए गए. बाहुबली मुख्तार अंसारी साल 1996 में बसपा के टिकट पर विधायक चुना गया था. चार बार विधायक रहा मुख्तार अंसारी पिछले 11 सालों से जेल में बंद है. पहली बार 1996 में बीएसपी की हाथी पर सवार होकर मऊ से विधायक बने बाहुबली मुख्तार दो बार निर्दलीय चुनाव जीते. 2012 में समाजवादी पार्टी की लहर में भी मुख्तार अपनी पार्टी के निशान पर जीत गया. मुख्तार के बड़े भाई अफ़ज़ाल अंसारी सबसे पहले राजनीति में आये. बात 1985 की है. लेफ्ट पार्टी की टिकट पर वे लगातार चार बार मोहम्मदाबाद से विधायक बने. यूपी विधान सभा में अफ़ज़ाल अंसारी लेफ्ट के आख़िरी विधायक थे. बाद में वे समाजवादी पार्टी की साइकिल पर सवार हो गए और गाजीपुर से सांसद भी बने. अंसारी भाईयों में सबसे बड़े सिबगतुल्लाह अंसारी भी विधायक हैं. पेशे से टीचर सिबगतुल्लाह दो बार विधान सभा चुनाव जीत चुके हैं. बलिया, मऊ, गाजीपुर इसके साथ ही वाराणसी की कुछ सीटों पर अंसारी बंधुओं का दबदबा है. कुल मिलाकर 15 से 20 सीट पर अंसारी बंधुओं की पकड़ मानी जाती है.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)