(News Rating Point) 19.03.2017
योगी आदित्यनाथ भाजपा के फायरब्रांड नेताओं में शुमार हैं। पूर्वाचल की राजनीति में उनकी पकड़ अच्छी मानी जाती है। गोरखपुर से सांसद और गोरक्षनाथ पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ कई बार अपने बयानों को लेकर भी चर्चा में रहते हैं। लव जेहाद, पलायन, धर्मातरण जैसे मसलों पर उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी।
पौड़ी के छोटे से गांव में जन्मे अजय सिंह के योगी से सीएम की कुर्सी तक पहुंचने का सफर दिलचस्प है। गढ़वाल के एक राजपूत परिवार में पैदा हुए आदित्यनाथ का नाम माता सावित्री सिंह और पिता आनंद सिंह ने अजय सिंह रखा था। कुशाग्र बुद्धि के अजय ने गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी गणित की पढ़ाई की। इसी दौरान वह गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के सम्पर्क में आए। वह रिश्ते में उनके मामा भी लगते थे। नौजवान अजय सिंह के अध्यात्म की तरफ बढ़ते रुझान ने गोरक्षपीठाधीश्वर को प्रभावित किया। एक-दूसरे के प्रति दोनों का स्नेह बढ़ता गया और 26 साल की उम्र में उन्होंने संन्यास ले लिया। इसके बाद उन्होंने परिवार से नाता तोड़ लिया और सरकारी कागजों में भी पिता के तौर पर महंत अवेद्यनाथ का नाम लिखा जाने लगा।
अजय सिंह ने योगी आदित्यनाथ बनने के बाद आम संन्यासियों से अलग हटकर अपने लिए एक और कठिन रास्ता चुना। यह रास्ता उन्हें धर्म और राजनीति के बीच संतुलन साधते हुए साधना के साथ जनसेवा के लिए बाध्य करता रहा। योगी को उत्तराधिकारी बनाने के चार साल बाद ही महंत अवेद्यनाथ ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी। इसके साथ ही योगी के नौजवान कंधों पर गोरक्षपीठ की धार्मिक जिम्मेदारी के साथ-साथ राजनीतिक विरासत को संभालने की जिम्मेदारी भी आ गई।
गोरक्षपीठ की परम्परा के अनुसार योगी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्याप्क जनजागरण अभियान चलाया। सहभोज के जरिए छुआछूत और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया। घर वापसी का अभियान छेड़ने के चलते योगी पर धर्मानान्तरण के आरोप भी लगे। योगी 1998 का लोकसभा चुनाव जीतकर सबसे कम उम्र के सांसद बने। अपने विवादित बयानों के चलते योगी की छवि कट्टर हिन्दूवादी फायरब्रांड नेता की है। 2017 के विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचार के तहत 175 से ज्यादा सभाएं कीं। भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाने में उनका बड़ा योगदान माना जा रहा है। हिन्दू युवा वाहिनी से नौजवानों को जोड़ायोगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी (हियुवा) का गठन कर बड़ी तादाद में नौजवानों को अपने साथ जोड़ा। घरवापसी, गोरक्षा और हिन्दू पुनर्जागरण के अभियान में यह संगठन योगी आदित्यनाथ का बड़ा आधार बना। पूर्वी उत्तर प्रदेश के गांवों में बड़े पैमाने पर हियुवा की इकाइयां बनीं। इन इकाइयों में बड़ी संख्या में नौजवान शामिल हुए। इसके कई नेता आगे चलकर भाजपा के जरिए सक्रिय राजनीति में भी आए। 2017 के चुनाव में भाजपा के टिकट वितरण से नाराज होकर इसके प्रदेश अध्यक्ष ने ही बगावत भी कर दी। हालांकि योगी का हमेशा कहना रहा कि हियुवा राजनीतिक नहीं सिर्फ सांस्कृतिक संगठन है। सात सितंबर 2008 को आजमगढ़ में उनपर जानलेवा हमला हुआ। उस हमले में वह बाल-बाल बच गए थे। उन्हें 2007 में गोरखपुर में दंगों के बाद तब गिरफ्तार किया गया जब मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू की जान चली गई।
आदित्यनाथ लेखक भी हैं। योगी नियमित डायरी भी लिखते हैं। उन्होंने राजयोग: स्वरूप एवं साधना, यौगिक षटकर्म, हठयोग: स्वरूप एवं साधनाऔर हिन्दू राष्ट्र नेपाल पुस्तकें लिखीं। वह गोरखनाथ मन्दिर की वार्षिक पुस्तक योगवाणी के प्रधान संपादक हैं। साप्ताहिक समाचार पत्र हिन्दवी के भी प्रधान सम्पादक रहे।
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- पांच जून 1972 को पौड़ी जिले के यमकेश्वर खंड के गांव पंचुर (ठांगर) में आनंद सिंह बिष्ट व सावित्री देवी के घर जन्मे योगी का वास्तविक नाम अजय सिंह बिष्ट है।
- योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट वन क्षेत्रधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हैं। मांसावित्री देवी गृहिणी हैं।
- योगी आदित्यनाथ की प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई। इसके बाद उन्होंने राजकीय महाविद्यालय कोटद्वार से पीसीएम ग्रुप से स्नातक डिग्री ली।
- एमएससी करने के बाद वे ऋषिकेश चले गए। यहीं गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए और गोरखपुर चले गए।
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