बांग्लादेशियों को बाहर निकालने का अभियान शुरू : जनसत्ता

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एनआरपी डेस्क 
 
लखनऊ। उतर प्रदेश का शायद ही कोई जित्ता ऐसा बया हो जहां इस वक्त बांग्लादेशी घुसपैठिये ना रह रहे हो। अकेले लखनऊ में इनकी संसना हजारों में है। हाल ही में आगरा में गिरफ्तार किए गए १० बांगादेशी इस बात की कराते हैं कि प्रदेश में इनको तादात किस कदर बढ़ रही है। प्रदेश के गृह विभाग में हालांकि बांग्लादेशी घुसपैठियों की घर-पकड़ के लिए अभियान शुरू किया है, लेकिन ऐसा अभियान पहली बार नहीं गुरु कया गया है। 18 सात में प्रदेश में कई बार ऐसे अभियान शुरू किए गए, जी कुछ समय बाद ठंडे बस्ते में डाल दिए गए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में रह रहे बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान शुरू करने के आदेश आला अधिकारियों को दिए है। आधिकारिक के मुताधिक मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद बांगलादेशियों की निशानदेही को कार्रवाई में अथ प्रदेश में लाखों की संख्या में इनकी उपस्थिति की जानकारी मिली है। इसी क्रम में इस बात की तस्दीक हुई है कि में 50 हजार बांग्लादेशी घुसपैठिये रह रहे हैं, जबकि इलाहावाद में इनकी संख्या 30 हजार के आस-पास है। वाराणसी में 15 हजार और कानपुर में यह संख्या 45 हजार के करीब बताई जा रही है। खुद को असम का बताने वाले इन बांग्लादेशियों में विभिन्न जिलों से अपना पहचान बनवाया है, जबकि कुछ ने जिस जिले में अपना है वहीं से अपना मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड बनवा त्रिया है। इस बाबत प्रदेश के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी कहते हैं, उत्तर प्रदेश में सबसे पहले बांगलादेशी घुसपैठियों की चर-पकड़ का अभियान वर्ष 2008 में मायावती की सरकार में शुरू किया गया था। उक्त प्रदेश के सभी बानेचारों को यह निर्देश जारी किए गए थे कि वे अपने थाना क्षेत्रों में रह रहे ऐका पेरा ब्योरा जुटा कर को हागन को भेजें। साथ ही ऐसे पुसपैठियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करें। इस आदेश के बाद प्रदेश में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी घुसपैठियों के विहीकरण और उन्हें गिरफ्तार करने का काम शुरू हुआ।

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