एनआरपी डेस्क
लखनऊ: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. अमेरिका के इस टैरिफ की काट करने के लिए अब भारत रास्ता तलाश रहा है. जिस रूस से तेल व्यापार करने के चलते भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत का टैरिफ ट्रंप ने लगाया है अब उसी रूस के बाजारों की तरफ भारत देख रहा है. अमेरिका के साथ भारत मछलियों का व्यापार करता था. अमेरिका के बाजार में झींगों को बेचा जाता था. लेकिन, अब जब अमेरिका ने भारत पर टैरिफ का चाबुक चलाया तो इसी के बाद कारोबारियों को अलर्ट कर दिया गया है. भारत मछली-सीफूड का इम्पोर्ट अमेरिका में करता है. टैरिफ से देश के मत्स्य निर्यात पर पड़ने वाले गंभीर प्रभाव की चिंता के बीच, सरकार ने सोमवार को समुद्री खाद्य निर्यातकों (Seafood Exporters) से झींगा और बाकी मछली की किस्मों को बेचने के लिए वैकल्पिक बाजार तलाशना शुरू करने के लिए कहा है. केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री राजीव रंजन सिंह ने इस मामले को लेकर सीफूड एक्सपोर्ट्स के साथ एक बैठक की. उन्होंने कहा, हमने उनसे (एक्सपोर्ट्स से) मौजूदा चुनौती का बहादुरी से सामना करने को कहा. वैकल्पिक बाजार उपलब्ध हैं. जहां चाह है, वहां राह है. भारत फिलहाल अमेरिका को फ्रोजन झींगे और प्रॉन्स का स्पलाई करता है. भारत की अमेरिका को सीफूड सप्लाई करने की बाजार की हिस्सेदारी 2015 के 24.4% से बढ़कर 2024 में 40.6% हो हुई. हालांकि, ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के बाद अब सप्लाई करने पर इसका असर पड़ेगा इसलिए देश को वैकल्पिक बाजार तलाशने के लिए कहा गया है. सोमवार को हुई बैठक इसी मकसद से की गई थी, जिससे अमेरिका के अलावा भारत के सीफूड की सप्लाई के लिए रास्ता तलाशा जाए, यह मीटिंग भी रणनीति बनाने के लिए आयोजित की गई थी. भारत के सीफूड सप्लाई के लिए कुछ वैकल्पिक बाजारों में यूके, यूरोपीय संघ (ईयू), ओमान, यूएई, दक्षिण कोरिया, रूस और चीन शामिल हैं. साउथ कोरिया में सीफूड काफी ज्यादा खाया जाता है, इसी के चलते साउथ कोरिया पर खास ध्यान दिया जाएगा.



