एनआरपी डेस्क
लखनऊ। विदेशी कंपनियों की दवा आपूर्ति बंद करने से हीमोफीलिया रोगियों के इलाज का संकट गहरा गया है। स्वदेशी कम्पनियों मांग के मुताबिक दवाएं उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं। सरकारी बजट मिलने में देरी से दवा की खरीद फरोख्त में भी अड़चन आ रही हैं। डॉक्टरों का कहना है कि स्वदेशी दवाओं के इंतजाम जल्द नहीं किए गए तो इलाज प्रभावित हो सकता है। प्रदेश में हीमोफीलिया रोगियों का उपचार मुफ्त है। विश्व हीमोफीलिया दिवस हर वर्ष 17 अप्रैल को होता है। इस वर्ष की थीम सभी के लिए पहुंच है। पीजीआई हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. राजेश कश्यप बताते हैं कि हीमोफीलिया एक आनुवंशिक रोग है। रोगी में खून में शक्के बनने कम हो जाते हैं। मामूली चोट लगने पर लंबे समय तक रक्तस्राव होता रहता है। लक्षणों में मामूली चोट लगना, जोड़ों में दर्द और लगातार रक्तस्राव होना। उपचार में क्लॉटिंग फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी और रक्तस्राव को रोकना शामिल है। हीमोफीलिया मुख्य रूप से आनुवंशिक म्यूटेशन से होता है।



