एनआरपी डेस्क।
लखनऊ। जीएसटी लागू होने के बाद फर्जी फर्मे विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर सामने आई हैं। एक जुलाई 2017 को जीएसटी लागू होने के बाद से मार्च 24 तक फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट के नाम पर सरकार को लगभग 1.5 लाख करोड़ का चूना लगाया जा चुका है। इसके एवज में विभाग केवल 13 हजार करोड़ रुपये की रिकवरी कर सका है। ये चोरी इतनी बड़ी है कि 10 छोटे राज्यों का कुल राजस्व भी डेढ़ लाख करोड़ रुपये से कम है। सेंट्रल जीएसटी ने पहली बार सुप्रीम कोर्ट के सामने छापों का पूरा ब्योरा रखा है। डाटा में तमाम खुलासे हुए हैं। एक जुलाई 2017 से जीएसटी लागू होने के बाद से 31 मार्च-2024 तक सेंट्रल जीएसटी जोन ने 26669 और इंटेलिजेंस ने 8869 छापे मारे। दोनों ने कुल 1407 लोगों को कर चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया। 2017 में केवल पांच छापे मारे गए और 13 करोड़ की टैक्स चोरी पकड़ी गई। 2018-19 में ये संख्या बढ़कर 1620 हो गई और 11 हजार करोड़ से ज्यादा का फर्जीवाड़ा पकड़ में आया। 2019-20 में 4258 छापों में 19932 करोड़ के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का भंडाफोड़ किया गया।