एनआरपी डेस्क।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी अभियुक्त को उसकी गिरफ्तारी का आधार बताना जरूरी है। यह कोई औपचारिकता नहीं, बल्कि एक अनिवार्य सांविधानिक जरूरत है। अगर पुलिस इसका पालन नहीं करती है, तो यह संविधान के अनुच्छेद 22 में मिले मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि गिरफ्तार व हिरासत में लिए गए हर व्यक्ति का यह मौलिक अधिकार है कि उसे जल्द से जल्द गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किया जाए।
पीठ ने यह भी कहा कि जब अनुच्छेद 22 (1) का उल्लंघन स्थापित हो जाता है तो अदालत का कर्तव्य है कि वह आरोपी की तुरंत रिहाई का आदेश दे। फैसले में पीठ ने कहा, यह जमानत का आधार होगा, भले ही जमानत देने पर वैधानिक प्रतिबंध मौजूद हों। संविधान के अनुच्छेद 21 व 22 का उल्लंघन स्थापित होने पर जमानत देने के कोर्ट के अधिकार पर वैधानिक प्रतिबंध प्रभाव नहीं डालते हैं।
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