एनआरपी डेस्क
लखनऊ। राजधानी के कई सरकारी अस्पताल बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं। आग से बचाव के लिए ढंग के इंतजाम तक नहीं हैं। दमकल विभाग की तरफ से संबंधितों को नोटिस तक दी गई, लेकिन खानापूर्ति कर छोड़ दिया। ऐसे में हाईकोर्ट ने भी वर्ष 2016 में वी द पीपल संस्था की पीआईएल पर जवाब मांगा है, कि कितने सरकारी अस्पतालों में आग से बचाव के लिए क्या किया है। अभियान चला और सब पहले जैसे हालत हो गए। आग की घटना के बाद एक बार फिर से अग्निशमन विभाग अभियान चलाने की बात कह रहा हैं। सबसे ज्यादा लापरवाही महिला अस्पतालों में हैं। न्यायालय की नाराजगी पर अग्निशमन विभाग की ओर से कराई गई जांच में इसका खुलासा हो चुका है। अग्निशमन की ओर से सिविल, बलरामपुर, पीजीआई, केजीएमयू, अवंती बाई, झलकारी बाई सहित कई सरकारी अस्पतालों को नोटिस जारी की गई थी। इसके बावजूद जिम्मेदार मूकदर्शक बने हुए हैं। मरीजों के साथ नवजातों की जान खतरे में है। वहीं, शहर के 90 फीसदी से अधिक निजी अस्पतालों में भी आग से बचाव के इंतजाम नहीं है। अस्पताल एक्सटिंग्यूशर टांग कर खानापूर्ति कर ली है।



