एनआरपी डेस्क
लखनऊ। शहर की करीब 70 फीसदी गोशालाओं की हालत बदतर है। पैसे ही हरे चारे का लिया जा रहा है, लेकिन गोवंशों को सूखा पुआल खिलाकर जिंदा रखा जा रहा है। ऐसे गोवंश कमजोर बीमार हो रहे हैं। अमर उजाला में गुरुवार को सूरज शुक्ला की खबर पढ़ने लायक है। यह खबर पशुपालन विभाग की जाँच से सामने आयी है।
शहर में 100 गौशालाएं हैं। इनमें 32,268 गोवंश है। विभागीय अफसर के मुताबिक प्रति गोवंश रोजाना आधा किली पशुआहार (चूनी-चोकर व खली), गेहूं का भूसा दो किले और तीन किलो साइलेज (हरे चारे में मिनरल मिलाकर तैयार किया जाता है) देना होता है।