एनआरपी डेस्क।
लखनऊ। संगठन चुनाव निष्पक्ष कराने के दावे के इतर प्रदेश भाजपा के जिला अध्यक्षों की सूची मंत्रियों, विधायकों सांसदों और बड़े नेताओं की पसंद-नापसंद के चक्कर में अटक गई है। नतीजतन जिलाध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने के 15 दिन बाद भी सूची जारी नहीं हो पाई है। यही नहीं, कई जिलों में जिलाध्यक्ष चुनाव के लिए तय मानकों की अनदेखी कर सूची में नाम शामिल कराने की बात भी उठने लगी है।
सूत्रों के मुताबिक, 50 से ज्यादा जिलों में नेताओं के बीच अपने खेमे का अध्यक्ष बनवाने की होड़ है। बता दें कि संगठन की चुनाव प्रक्रिया समझाने के लिए प्रदेश स्तर से लेकर जिला स्तर तक कार्यशालाएं हुई थीं। यही नहीं, ऐलान किया गया था कि चुनाव में उन कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाएगी, जो शुद्ध रूप से भाजपा या संघ परिवार के कार्यकर्ता रहे है।



