एनआरपी डेस्क
लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार उत्तराखंड की तर्ज पर राज्य के वन क्षेत्रों की नदियों में रिवर ट्रेनिंग तकनीक का इस्तेमाल करने जा रही है। इसका उद्देश्य नदियों के बहाव को नियंत्रित करने के साथ ही तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा करना है। इससे बाढ़ और कटाव को रोका जा सकेगा। पहले चरण में बिजनौर और सहारनपुर के जंगलों की नदियों में यह काम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा। इसके तहत नदियों से बालू व पत्थर हटाया जाएगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश वन निगम को वेडल एजेंसी बनाने को तैयारी है। इससे न सिर्फ जंगल से सटे ग्रामीण इलाकों में बाढ़ की समस्या से राहत मिलेगी बल्कि उपखनिज भी प्राप्त होंगे। उपखनिज की उपलब्धता बढ़ने पर आमजन को बाजार में सस्ती दरों पर यह उपलब्य हो सकेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार राज्य रिवर ट्रेनिंग नीति लाने जा रही है। पहले चरण में बिजनौर व सहारनपुर के वन क्षेत्र से गुजरने वाली आठ नदियों का अध्ययन आइआइटी कानपुर से कराया गया है। यहां सफलता मिलने पर प्रदेशभर में इसे लागू किया जाएगा।कन निगम को वन क्षेत्र की नदियों से उपखनिज निकालने के लिए भूतत्व एवं खनिकर्म विधान की इजाजत लेनी होगी। वन निगम नदियों से उपखनिज निकालने के लिए टेंडर आमंत्रित करेगा। रयाली खनन विभाग को जबकि शेष राशि वन विभाग को मिलेगी। इसे वन क्षेत्रों में लगाया जाएगा।



