एनआरपी डेस्क
अयोध्या: चंदी के दाम गत आठ माह में डेढ़ गुना तक बढ़ गए हैं, किंतु चांदी के ही फलक पर स्थापित रामलला रक्षायंत्र के मूल्य में कोई बुद्धि नहीं हुई है। गत वर्ष अक्टूबर माह में में श्रीरामलला अयोध्या जी सेवा संस्थान की ओर से लांचिंग के समय इसकी लागत चार हजार, पांच सौ रुपये बताई गई थी। उस समय चांदी 65 हजार रुपये प्रति किलो थी और आज जब रक्षायंत्रों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की बारी आई, तब चांद को कीमत एक लाख, दस हजार रुपये प्रति किलो तक जा पहुंची है। इस हिसाब से रक्षायंत्र की लागत में भी सजा से डेढ़ गुना तक वृद्धि का अनुमान है। तथापि रक्षायंत्र को कीमत पूर्ववत रखने का कारण स्पष्ट करते हुए रामलला संस्थान के अध्यक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय राख्याति के ज्योतिष गुरु डा. राजानंद शशास्त्री स्पष्ट करते हैं कि करोड़ों रामभक्तों की रक्षयंत्र से युक्त करने का अभियान शुरू से ही लाभ-हानि रहित भाव से अनुप्राणित था और आज इससे भावना के प्रति संकल्पित रहते हुए रक्षायंत्र की की कीमत पूर्वक्त चार हजार, पांच सौ रुपये ही स्खो गई है। यद्यपि कुछ विशिष्ट रक्षयंत्रों में 250 ग्राम तक चांदी का उपयोग किया गया है, किंतु आम श्रद्धातुओं तक आपूर्ति किए जाने वाले रक्षायंत्र में 14 ग्राम चांदी का ही प्रयोग है, किंतु रक्षायंत्र की लागत मात्र चाँद तक ही सीमित नहीं है। व्यय का सबसे बड़ा हिस्सा आइटी टीम पर करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त यंत्र को सुनिश्चित आकार देने की कारीगरी, उसे मर्मज्ञ आत्रयों के माध्यम से रामरक्षा स्तोत्र सहित अन्य शास्त्रीय विशिष्टताओं से युक्त करने, आपूर्ति के लिए डाक व्यय तथा टैक्स मिलाकर इसकी लागत कोमत के ही आसपास बैठ रही है। ऐसे में समिति अपनी टीम से रक्षायंत्रों के वितरण को रामकाज से जुड़ा अभियान कहकर कम से कम पारिश्रमिक स्वीकार करने के लिए राजी कर रही है।



