Ajay Yadav, IAS, Uttar Pradesh

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(News Rating Point) 26.07.2016
केंद्र सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने एक ‘खास’ आईएएस अफसर के लिए नियम ही बदल डाले। 2010 बैच के तमिलनाडु काडर के आईएएस अजय यादव को पांच साल में ही उनके होम स्टेट यूपी काडर में भेज दिया गया, जबकि नौ साल से पहले किसी आईएएस का काडर बदला ही नहीं जा सकता। नवभारत टाइम्स ने लिखा कि कार्मिक मंत्रालय ने भी खुद ही इन्हीं नियमों का हवाला देते हुए आईएएस का प्रार्थना पत्र दो बार रद कर दिया था। इस बार भी काडर में बदलाव तब हुआ तब प्रधानमंत्री कार्यालय ने सीधे हस्तक्षेप कर काडर बदलने के निर्देश दिए। यह मामला अहम इसलिए भी हो जाता है क्योंकि अजय यादव यूपी सरकार के लोक निर्माण और सिंचाई मं‌त्री शिवपाल यादव के दामाद हैं। अजय इस वक्त बाराबंकी में डीएम पद पर तैनात हैं।
दरअसल नियम है कि किसी भी आईएएस अधिकारी का अपने मूल कॉडर से दूसरे स्टेट में तबादला उसके सर्विस के कम से कम 9 साल पूरा होने के बाद ही हो सकता है। लेकिन हाल ही में अजय यादव के तबादले से संबंधित दस्तावेज आए। इसमें खुलासा हुआ कि 2010 बैच के आईएएस अधिकारी अजय का तबादला पीएमओ के दखल के बाद ही हो सका।
अजय यादव यूपी लौटने के लिए डीओपीटी (डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल एंड ट्रेनिंग )में पिछले दो साल से आवेदन दे रहे थे। पैरामीटर पर खरा नहीं उतर पाने के कारण डीओपीटी ने दो बार उनकी अर्जी खारिज कर दी थी। अजय ने नवंबर 2014 में काडर ट्रांसफर के लिए डीओपीटी में आवेदन दिया था। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार से भी अनुमति तुरंत मिल गई थी। दरअसल काडर तबादले के लिए दोनों राज्यों की सहमति जरूरी होती है। अजय ने तबादले के लिए अपने बेटे की हेल्थ और मां की देखरेख को आधार बनाया था। लेकिन उनके आवेदन को लगातार दो बार इस तर्क के साथ खारिज किया गया कि वह 9 साल सर्विस पूरी करने के पैमाने को पूरा नहीं करते। दूसरा उनकी ओर से दिए गए कारण इमरजेंसी केस में नहीं हैं।
इसके बाद मंत्री शिवपाल यादव ने अपने आईएएस दामाद के तबादले के लिए पीएमओ में लिखित आग्रह भेजा। लगातार दो बार खारिज होने के बाद पीएमओ के पास जब आवेदन पहुंचा तो वहां से उम्मीद की रोशनी मिली। पीमएओ के हस्तक्षेप के बाद डीओपीटी ने रुख में नरमी दिखाई। अंतत: एसीसी ने अजय के आवेदन को तीसरे प्रयास में पिछले साल नवंबर में मंजूरी दी। अब अजय अगले तीन साल के लिए अपने होम स्टेट उत्तर प्रदेश लौट चुके हैं।
दरअसल यह मामला इसलिए भी दिलचस्प है कि अमूमन पीएम मोदी अफसरों के तबादले के पैमाने में सख्त स्टैंड लेते रहे हैं। पैरवी न सुनने की रणनीति पर चलने की हिदायत वह कई मौकों पर दे चुके हैं। पिछले दो सालों में काडर तबादले के मामले सबसे ज्यादा खारिज हुए जिसमें पैरामीटर नहीं पूरे किए जा रहे हैं। अभी भी 100 से अधिक आवेदन डीओपीटी के पास हैं जिसमें अधिकतर मामले में आईएएस अधिकारी अपने होम स्टेट लौटना चाहते हैं।

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