लखनऊ। सोमवार को राम मनोहर लोहिया संस्थान का एक फरमान वायरल हुआ था कि वहां कवरेज के लिए पहले स्वीकृति लेनी होगी। यह खबर संज्ञान में आने के बाद मीडिया में वायरल हो गई। पत्रकारों और आम लोगों ने इसे तुगलगी फरमान बताया। मंगलवार के अखबारों में यह खबर प्रमुखता से छपी। खबर संज्ञान में आते ही डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने संस्थान के जिम्मेदारों से बात की। उसके बाद संस्थान ने अपना फैसला वापस ले लिए और सफाई दी कि किसी भी पत्रकार को संस्थान में कवरेज़ के लिए अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं होगी।
दरअसल गोमतीनगर स्थित चिकित्सा संस्थान ने सोमवार रात को जारी किये गए पत्र में कहा था कि मीडिया कर्मियों को संस्थान में कवरेज़ के लिए अनुमति की आवश्यकता होगी। लेकिन, सोशल मीडिया पर लगातार हुई ट्रोलिंग के बाद, लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान को अपना आदेश वापस लेना पड़ा।
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, जिनके पास विभागीय मंत्री की जिम्मेदारी भी है, उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी।
मैंने निदेशक(DrRMLIMS),लखनऊ को मीडिया पर लगे प्रतिबंध के ऑर्डर को तत्काल निरस्त कर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने हेतु जरिये दूरभाष निर्देश दिये थे।उक्त के सम्बंध में संस्थान की ओर से स्पष्टीकरण प्रस्तुत करते हुए मीडिया पर लगे प्रतिबंध के आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया है pic.twitter.com/BJzyMhC3XJ
— Brajesh Pathak (@brajeshpathakup) May 3, 2022
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विक्रम सिंह ने नया पत्र जारी किया है। जिसके जरिये उन्होंने बताया कि अधोहस्ताक्षरी द्वारा अनुमति प्राप्त करने संबंधी जो पत्र सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। उसका संदर्भ मान्यता प्राप्त अथवा सम्मानित संस्थान के पत्रकारों से नहीं है। उन्होंने बताया कि पत्र का मंतव्य उन व्यक्तियों (स्वघोषित मीडियाकर्मी) के लिए अनुमति प्राप्त करने के लिए है, जिनके पास संबंधित संस्थान का पहचान पत्र नहीं होता है और स्वंय को पत्रकार बताकर यूट्यूब चैनलों की माइक आईडी लेकर संस्थान में वीडियो बनाने और कहीं पर भी खड़े होकर लाइव करने वालों के लिए ही अनुमति लेकर प्रवेश देने संबंधी पत्र संबंधित सुरक्षा एजेंसियों के लिए जारी किया गया था।”