Jawahar Navodaya Vidyalaya Pipersand Lucknow

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(News Rating Point) 05.05.2016
लखनऊ : सरकारी स्कूल…। ये दो शब्द पढ़ते ही शायद आपने मुंह बिचका लिया होगा। अस्त-व्यस्त क्लास, टूटा फर्नीचर, ढंग की पढ़ाई नहीं वगैरह…वगैरह, न जाने कितने बातें दिमाग में घूमने लगी होंगी। पर क्या आपको पता है कि एक सरकारी स्कूल पढ़ाई के मामले में बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों को मात दे रहा है। जी हां! हम बात कर रहे हैं पिपरसंड के जवाहर नवोदय विद्यालय की। रिपोर्टर अंकुश त्रिपाठी की यह खबर नवभारत टाइम्स ने पेज एक की लीड के रूप में प्रकाशित की।
इस स्कूल की 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले 58 स्टूडेंट्स में से 46 ने पहली बार में ही अच्छे मार्क्स के साथ देश का सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग एग्जाम जेईई मेंन क्वालिफाई कर लिया। अब जेईई एडवांस की तैयारी में जुटे इन स्टूडेंट्स का सपना आईआईटी में दाखिला पाना है। इंजीनियरिंग की नई नर्सरी बने स्कूल में स्टूडेंट्स की परफार्मेंस देखकर प्रिंसिपल जेसी गुप्ता और वाइस प्रिंसिपल नीता उपाध्याय का भी पूरा फोकस इन सभी की परीक्षा की तैयारियों पर है। एक्सपर्ट्स भी उनकी पूरी मदद कर रहे हैं। जेएनवी के प्रिंसिपल जेसी गुप्ता का कहना है कि अनुशासन के चलते ही यह सफलता मिली है। फाउंडेशन की मदद से बेहतर तरीके से पढ़ाई हो सकी। एचआरडी मंत्रालय के प्रॉजेक्ट के तहत पुणे का दक्षणा फाउंडेशन नवोदय विद्यालयों के 300 स्टूडेंट्स को हर साल जेईई की तैयारी करवाता है। यूपी से फाउंडेशन ने 40 स्टूडेंट्स को सिलेक्ट किया था। इन्हें विद्यालय में 11वीं और 12वीं की पढ़ाई के साथ एक्सपर्ट्स की कोचिंग भी दी गई। इसके लिए किसी भी स्टूडेंट्स से कोई फीस नहीं ली गई। सात स्टूडेंट्स ने खुद की मेहनत से जेईई मेंन क्रैक किया।
महंगी कोचिंग। स्पेशल कोर्स। सब फेल हैं नवोदय विद्यालयों के स्टूडेंट्स की कामयाबी के आगे। जेईई मेंस में यहां के 80 फीसदी परीक्षार्थियों ने कामयाबी हासिल की है। ऐसा पिछले कुछ वर्षों से लगातार हो रहा है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए चुने जाने वाले इन बच्चों में से ज्यादातर गरीब या निम्नमध्यम वर्गीय परिवारों से हैं। 1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शुरू किए गए इन विद्यालयों की कामयाबी बताती है कि श्रेष्ठ प्रतिभाओं को योग्य गुरु और दक्षणा फाउंडेशन जैसा सही मार्गदर्शन मिले तो चौंका देने वाले नतीजे हासिल होते हैं। क्या सरकारी स्कूल-कॉलेजों के अध्यापकों और व्यवस्थापकों को नवोदय विद्यालयों के तौर-तरीके सीखने की जरूरत नहीं है, यकीनन है।
…तो इंजीनियर बनने की न सोचते
पिपरसंड के जवाहर नवोदय विद्यालय की 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले 58 स्टूडेंट्स में से 46 ने पहली बार में ही अच्छे मार्क्स के साथ देश का सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग एग्जाम जेईई मेन क्वालिफाई कर लिया। अब जेईई एडवांस की तैयारी में जुटे इन स्टूडेंट्स का सपना आईआईटी में दाखिला पाना है। स्टूडेंट्स खुद मानते हैं कि उन्हें इस स्कूल में दाखिला नहीं मिलता तो शायद ही इंजीनियर बनने की सोचते। प्रिंसिपल जेसी गुप्ता के मुताबिक स्कूल में 70 फीसदी स्टूडेंट्स ग्रामीण क्षेत्रों से ही आते हैं। ज्यादातर कमजोर आर्थिक स्थिति वाले, लेकिन मेधावी हैं। 90 फीसदी स्टूडेंट्स ने हाईस्कूल में 10 सीजीपीए ग्रेड स्कोर किया था।
आईआईटी में दाखिला है इनका सपना: मुकुल कुमार, अमरदीप सैनी, तरुण कुमार, योगेश, मनीष खरवार, आलोक प्रताप, अनुभव कुमार, ऋषिकेश, अयान, आनंद कुमार, ललित गौतम, गौतम, आलोक अहिरवार, आदर्श सोनकर, आयुष कुमार, गोमती प्रसाद, राहुल अग्रहरि, रेहान रजा, मयंक वर्मा, प्रतीक प्रभाकर, प्रियांशु कनौजिया, नीरज कुमार, शुभम राज वर्मा, अमित कुमार यादव, अशोक कुमार, अजीत, अर्पित सिंह, आशीष कुमार, आनंद कनौजिया, तथागत चौरसिया, कुणाल प्रदीप सागर, निश्चय दुबे, आदित्य गोंड, दीपक भारतीय, अंकित विश्वकर्मा, मनोज पांडेय, दीपेश चौधरी, जुबेर अंसारी, रंजीत कुमार, विवेक मिश्रा, शेखर सिंह, विनोद कुमार, आकाश गुप्ता, अंकुर गौतम, आशीष करुणाकर और कमलजीत।

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