(news Rating Point) 15.01.2017
आगरा के बाह से समाजवादी पार्टी के विधायक राजा महेन्द्र अरिमदन सिंह ने आखिरकार दिल्ली में 14 जनवरी को भारतीय जनता पार्टी का कमल थाम ही लिया। पिछले छह महीने से उनके भाजपा में शामिल होने की बात चल रही थी। यह बात अलग है कि अरदिमन सिंह के करीबी इस बातचीत को अफवाह बताते रहे। यह बात भी सत्य है कि वे समाजवादी पार्टी में घुट रहे थे। अरिदमन सिंह के साथ उनकी पत्नी रानी पक्षालिका सिंह भी भाजपाई हो गई हैं।
इसलिए आहत थे
अरिदमन सिंह को राजा भदावर, राजा साहब, महाराज साहब जैसे संबोधनों से नवाजा जाता है। 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी का दामन थामा। सपा के आगरा के नौ में से एकमात्र विधायक हैं। इसका उन्हें पुरस्कार भी मिला। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया। सब ठीकठाक चल रहा था कि अचानक ही उनसे परिवहन मंत्रालय छीन लिया गया। उन्हें मामूली सा विभाग स्टाम्प एवं पंजीयन दे दिया गया। कुछ दिन बाद उन्हें मंत्रीपद से ही बर्खास्त कर दिया गया। उनके समर्थकों न तभी कहा था कि समाजवादी पार्टी छोड़ दें, लेकिन ऐसा कर न सके।
मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी
विधायक ने ‘पत्रिका उत्तर प्रदेश’ को दिए साक्षात्कार में इस बात को स्वीकार भी किया था। उन्होंने कहा था कि बिना बताए मंत्रिमंडल से हटाना ठीक नहीं था। मुख्यमंत्री ने एक बार बात तो की होती। उन्होंने स्वयं को आहत पाया था। यह कसक ही एक बड़ी वजह बनी समाजवादी पार्टी से दूरी बनाने में। वे सपा में बने रहे, लेकिन मन से नहीं। हां, बाह क्षेत्र की जनता से सतत संपर्क बनाए रहे। चुनाव की व्यक्तिगत रूप से तैयारी करते रहे। प्रत्येक बूथ पर उनके अपने लोग हैं। पार्टी से उन्हें कोई लेना-देना नहीं होता है।
ना ना करते…
पिछले सप्ताह से उनके भाजपा में शामिल होने की बात जोरशोर से उठी थी। दिल्ली में उन्हें कई भाजपा नेताओं के आवास औऱ कार्यालय में देखा गया था। यह कहा जा रहा था कि भाजपा में शामिल होने में देरी इसलिए हो रही है क्योंकि दो टिकटें मांग रहे हैं। बाह से अपने लिए और खेरागढ़ से अपनी पत्नी रानी पक्षालिका सिंह के लिए। फिर बात आई कि एक टिकट के लिए राजी हो गए हैं। इन सब बातों के बीच जब उन्हें फोन किया तो पलटकर उनके मीडिया प्रभारी मदन मोहन शर्मा का फोन आया। फिर लिखित में दिय़ा कि समाजवादी पार्टी के सिपाही हैं और सपा में ही रहेंगे। भाजपा में शामिल नहीं होंगे। राजा अरिदमन सिंह ने फोन पर भी कहा कि ये बात तो लंबे समय से चल रही है। जब से हम मंत्री पद से हटाए गए हैं, तभी से कहा जा रहा है। ना ना के बीच आखिरकार वे भाजपा में शामिल हो ही गए। उन पर फिल्मी गीत की ये पंक्तियां चरितार्थ हो रही हैं-ना ना करते प्यार तुम्हीं से कर बैठे, करना था इनकार मगर इकरार तुम्हीं से कर बैठे।
अब भाजपा के सामने चुनौती
जब से यह चर्चा चली कि राजा अरिदमन सिंह भाजपा में शामिल होंगे, तभी से उनका विरोध शुरू हो गया। भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुलकर कहा कि पार्टी छोड़कर जाने वालों को फिर से पार्टी में न लिया जाए। अरिदमन सिंह और छोटेलाल वर्मा (अब भाजपा में) को दोबारा न लिया जाए। फतेहपुरसीकरी से भाजपा सांसद चौधरी बाबूलाल तो खुलकर मैदान में आ गए थे। उनका तर्क है कि राजा ने भाजपा कार्यकर्ताओं पर मुकदमे लगवाए, जेल भिजवाए, उत्पीड़न किया। उन्हें भाजपा में शामिल न किया जाए। इतना सब होने के बाद भी अरिमदन सिंह और छोटेलाल वर्मा को भाजपा ने गले लगा लिया। देखना है भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को किस तरह बाह में काम करने के लिए तैयार करती है और यह किस चुनौती से कम नहीं होगी।
राजनीति में सफर शुरू करने के बाद राजा ने पीछे मुड़़कर नहीं देखा। भाजपा के साथ राजनीतिक सफर की शुरूआत करने वाले राजा महेंद्र अरिदमन सिंह ने बाह विधानसभा सीट पर अपना परचम बुलंद रखा है। यहां से छह बार के विधायक रहे राजा को हराने के लिए सभी दलों ने कोशिशें की,लेकिन एक हार अवसाद के तौर पर उन्हें मिली। छह बार के विधायक रहे राजा अब परिवार में लौट रहे हैं, तो एक बार फिर से भाजपा को इस सीट पर उम्मीद दिखने लगी है।
कल्याण मंत्रिमंडल से हुई शुरूआत
राजा महेंद्र अरिदमन सिंह 1996 में कल्याण सिंह के मंत्रिमंडल में इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री एवं एकीकरण मंत्री रहे। इसके बाद उन्हें 2001 में राजनाथ सिंह के मंत्रिमंडल में परिवहन मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया। साल 2002 में बीजेपी-बीएसपी के गठबंधन की सरकार बनीं, तो मायावती के मंत्रिमंडल में स्वास्थ्य मंत्रालय की बड़ी जिम्मेदारी उन्हें दी गई।
सपा में थे मंत्री
आगरा के सेंट जॉन्स कॉलेज, आगरा से एमकॉम अरिदमन सिंह वर्तमान सपा सरकार में पहले परिवहन मंत्री, बाद में स्टांप एवं पंजीयन विभाग में मंत्री रहे। अक्टूबर, 2015 को सपा सरकार ने उन्हें मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। इससे पहले वो बीजेपी सरकार में दो बार और एक बार बीजेपी-बीएसपी सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं।
पहली बार सपा से लड़े
2012 विधानसभा चुनावों में अखिलेश यादव की आंधी में सपा की ओर से इस सीट पर राजा अरिदमन सिंह ने बड़ी जीत दर्ज की थी। ये पहला मौका था जब सपा ने बाह सीट पर अपना खाता खोल था। राजा को 99 हजार 389 वोट मिले, जबकि बीएसपी उम्मीदवार मधुसूदन शर्मा 72 हजार 908 वोट ही पा सके। यहां एक दिलचस्प बात थी कि विधानसभा चुनाव 2007 में मधुसूदन शर्मा ने राजा अरिदमन सिंह को 4623 वोटों से हराया था।
ये रहा चुनावी इतिहास
विधानसभा चुनाव 2017 के बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इस सीट से मधुसूदन शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। अब बीजेपी का पैंतरा क्या होगा, ये अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। इसस पहले 2002 में बीजेपी की ओर से राजा अरिदमन सिंह ने सपा के संतोष चौधरी को मात दी थी। राजा अरिदमन सिंह को 54 हजार 73 जबकि 28 हजार 66 वोट मिले थे। 1996 में बीजेपी की ओर से अरिदमन सिंह ने कांग्रेस के अमर चंद को हराया। विधानसभा चुनाव 1993 में अरिदमन सिंह जनता दल की ओर लड़े और कांग्रेस के अमर चंद शर्मा को उन्होंने हराया था। (पत्रिका)