FLOP **** (News Rating Point) 05.11.2016
पूर्व मंत्री और कई बार के विधायक रहे रामपाल वर्मा को बसपा ने निष्कासित कर दिया. रामपाल पिछली बसपा सरकार में मंत्री रहे थे. इस बार भी बालामऊ विधानसभा सीट से दावेदार माने जा रहे थे. पार्टी जिलाध्यक्ष अमर सिंह की ओर से शुक्रवार को जारी प्रेसनोट में उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने का आरोप लगाते हुए निष्कासन की जानकारी दी गई है. बसपा के दलित चेहरे के तौर पर पहचान रखने वाले रामपाल वर्मा को बाहर का रास्ता दिखाने पर क्षेत्रीय सियासत में सनसनी का माहौल है. साफ-सुथरी छवि वाले रामपाल वर्मा का संडीला तहसील क्षेत्र में अच्छा दबदबा माना जाता है. वह नए परिसमीन के पहले की बेनीगंज सीट से कई बार विधायक रहे. बालामऊ के नाम से बनी नई सीट पर पिछला विधानसभा चुनाव मामूली अंतर से हार गए थे. सपा के अनिल वर्मा ने उन्हें नजदीकी मुकाबले में 300 से भी कम वोटों से हराया था. गांव की प्रधानी से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले वर्मा छह बार विधायक रह चुके हैं. पिछले चुनाव में वह सपा प्रत्याशी से मामूली अंतर से हार गए थे. रामपाल वर्मा ने कोथावां ब्लॉक के शाहपुर गांव की प्रधानी से राजनीति सफर शुरू किया. इसके बाद कोथावां से ब्लॉक प्रमुख चुने गए. 1984 में बेनीगंज सुरक्षित सीट से निर्दलीय विधायक बनने के बाद रामपाल ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह कांग्रेस के टिकट पर 1988 व 1991 में विधानसभा चुनाव जीते. इसकेबाद 1993 में चुनाव हारने के बाद सपा में चले गए. वर्ष 1996 में फिर विधायक बने, लेकिन अगला चुनाव हारने के बाद हाथी पर सवार हो गए. 2004 के उपचुनाव और 2007 के चुनाव में वह बसपा के टिकट पर विधायक बने और बसपा सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री रहे. परिसीमन में बेनीगंज सीट समाप्त होकर बालामऊ नई बनी. रामपाल 2012 का चुनाव हाथी चुनाव चिन्ह पर बालामऊ से लडे़. इसमें सपा के अनिल वर्मा से वह महज 147 वोटों से मात खा गए. वर्मा एक बार लोकतांत्रिक कांग्रेस के टिकट पर मिश्रिख और एक बार सपा के टिकट पर हरदोई से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं. छह बार विधायक और एक बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे रामपाल वर्मा धारा के विपरीत चलने वाले नेता हैं.
(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)