Arun Jaitley BJP

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HIT **** (News Rating Point) 17.10.2015
इस सप्ताह वित्त मंत्री अरुण जेटली को लंदन की पत्रिका ‘इमर्जिंग मार्केट्स’ की ओर से ‘फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ द ईयर, एशिया’ पुरस्कार के लिए चुना गया. पत्रिका ने एक लेख में लिखा है कि पिछले 18 महीनों में भारत की आर्थिक सफलता के मामले में जेटली को भी सम्मान मिलना चाहिए. इसके अलावा केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस सप्ताह लेखकों की ओर से साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटाने को एक गढ़े हुए संकट पर सरकार के खिलाफ एक गढ़ी हुई कागजी बगावत बताया. और इस वजह से भी चर्चा में आये. एक गढ़ी हुई क्रांति शीर्षक से किए गए एक फेसबुक पोस्ट में जेटली ने लिखा, दादरी में अल्पसंख्यक समुदाय के एक सदस्य की पीट-पीटकर की गई हत्या बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. सही सोच रखने वाला कोई भी इंसान न तो इस घटना को सही ठहरा सकता है और न ही इसे कम करके आंक सकता है. ऐसी घटनाएं देश की छवि खराब करती हैं. इसके बाद दर्जनों लेखकों ने अपने साहित्य अकादमी अवॉर्ड लौटा दिए हैं. जेटली ने सवालिया लहजे में लिखा, यह सचमुच का विरोध है या गढ़ा हुआ विरोध है. जेटली ने कहा कि ऐसे कई लेखक हुए जिनका झुकाव वाम या नेहरू काल से रहा. उन्हें सम्मान भी मिला. इनमें से कई ने तब भी नरेंद्र मोदी की आलोचना की थी जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे. जेटली ने कहा कि साहित्य सम्मान लौटा रहे लेखक यह भूल गए हैं कि एम.एम. कलबर्गी की हत्या कर्नाटक में हुई और वहां कांग्रेस की सरकार है. उसी तरह महाराष्ट्र में एन दाभोलकर की हत्या हुई और उस वक्त वहां भी कांग्रेस की सरकार थी. उत्तर प्रदेश में दादरी की घटना हुई है और वहां सपा की सरकार है. ये सभी मामले कानून व्यवस्था से जुड़े हैं और सत्ताधारी सरकार को इसके लिए सवालों के कठघरे में खड़ा करना चाहिए. लेकिन लेखकों की ओर से ऐसा माहौल बनाया जा रहा है जैसे केंद्र की सरकार इसके लिए दोषी है.

(अखबारों, चैनलों और अन्य स्रोतों के आधार पर)

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