Ashutosh Niranjan, IAS, Uttar Pradesh

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(News Rating Point) 02.06.2016
लखनऊ. युवा ‘कलक्टर साहब’ एक चौपाल पर ग्रामीणों के साथ गरम कॉफी पी रहे हैं और लइया-चना फांक रहे हैं. एक युवा महिला आईएएस अधिकारी आंगनबाड़ी केंद्र पर एक शिशु को गोद में खेला रही हैं. एक जिलाधिकारी एक मोटरसाइकिल के पीछे बैठकर वाराणसी के एक गांव में यह देखने जाते दिखते हैं कि खुले में कहां शौच किया जा रहा है. उत्तर प्रदेश में यह धारणा गलत साबित हो रही है कि नौकरशाह केवल दफ्तर में आराम करने के लिए होते हैं. प्रदेश में युवा अधिकारियों की टीम एक नया अध्याय लिख रही है, जिससे न केवल लोगों को लाभ हो रहा है बल्कि लंबे समय से बदलाव की बाट जोह रही राज्य की बिगड़ी हुई नौकरशाही भी बदल रही है.
आईबीएन 7 ने लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ‘चाय पर चर्चा’ अभियान को वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में राजनीतिक सफलता के लिए इस्तेमाल किया, शायद गोंडा के जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने उसी से प्रेरित होकर ‘कॉफी विद कलक्टर’ कार्यक्रम शुरू किया है. इसमें वह जिले के किसी भी ग्राम पंचायत को चुन लेते हैं और अपने अधिकारियों के साथ कॉफी पीने पहुंच जाते हैं. वहीं गांव वालों की समस्याएं सुनी जाती है और तत्काल उनकी समस्याओं का निपटारा कर दिया जाता है.
इसका पहला आयोजन हाल में पारसपुर प्रखंड की मिझौरा पंचायत में हुआ. गरम कॉफी के साथ ग्राम प्रधान विपिन कुमार सिंह, लेखपाल और पंचायत सचिव ने सड़क से लेकर बिजली आपूर्ति, पानी एवं कई मुद्दों पर चर्चा की. यह भी तय किया गया कि ग्राम प्रधान बहुत जल्द इसी तरह लेखपाल, पंचायत सचिव, बीट के सिपाही और अन्य निचले स्तर के कर्मियों के साथ दोपहर के खाने पर बैठक करेंगे. निरंजन ने कहा कि इसके पीछे पंचायत व्यवस्था को मजबूत करने और भूमि विवाद जैसे बहुत सारे मुद्दों को निचले स्तर पर ही निपटा देने का विचार है.

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