रामपुर उपचुनाव में जीत के साथ घनश्याम लोधी की न्यूज़ रेटिंग टॉप पर

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रामपुर। न्यूज़ रेटिंग में रविवार को बीजेपी के घनश्याम लोधी टॉप पर पहुंच गए हैं। कहने की जरूरत नहीं कि रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में भाजपा के घनश्‍याम लोधी ने सपा प्रत्‍याशी आसिम राजा को हराकर पहली बार सांसद बने हैं। सबसे ज्यादा ध्यान देने वाली बात ये है कि लोधी आज़म खान के करीबियों में रहे हैं।

बीजेपी उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी ने 42,048 वोटों से सपा उम्मीदवार असीम रजा को हराया है. 2019 में रामपुर लोकसभा सीट पर आजम खान ही चुनाव जीते थे. इसके बाद 2022 को विधानसभा चुनाव में भी आजम खान इसी सीट से उतरे और चुनाव जीत लिया.
विधायक बनने के बाद आजम खान लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद अब यहां लोकसभा उपचुनाव कराए गए. दो साल से ज्यादा वक्त तक जेल में रहकर बाहर आए आजम खान ने अपने समर्थक असीम रजा को इस सीट से उतारा था. खुद आजम खान ने असीम के नाम की घोषणा की थी वो अपने दम पर ही पूरा प्रचार कर रहे थे. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव यहां एक बार भी प्रचार के लिए नहीं पहुंचे थे, जबकि बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी थी.
इससे पहले वह दो बार एमएलसी रह चुके हैं। इस साल ही वह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए थे। इससे पहले वह समाजवादी पार्टी में थे। सबसे पहले वह समाजवादी पार्टी के समर्थन से कल्याण सिंह की राष्ट्रीय क्रांति पार्टी के टिकट पर रामपुर-बरेली स्थानीय प्राधिकारी क्षेत्र से 2004 में एमएलसी बने थे। इसके बाद इसी क्षेत्र से 2016 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर एमएलसी बने। 2019 में रामपुर शहर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव के दौरान उनके आवास पर भाजपा नेताओं की मीटिंग भी हुई थी। तब से ही उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगने लगी थीं, हालांकि तब वह भाजपा में शामिल नहीं हुए थे। इसी साल विधानसभा चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हुए। रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव के लिए मुख्‍तार अब्‍बास नकवी और जयाप्रदा जैसे कई नाम सामने आ रहे थे लेकिन, भाजपा ने घनश्‍याम लोधी पर भरोसा जताया और उन्‍होंने भरोसे को सच साबित किया।
रामपुर लोकसभा सीट आजम खां के इस्‍तीफे से खाली हुई थी। आजम खां 2022 के विधानसभा चुनाव में दसवीं बार विधायक चुने गए। वह रामपुर शहर सीट से विधायक चुने गए। उसके बाद चुनाव आयोग ने रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा की। 23 जून को मतदान हुआ था। हालांकि, इस बार मतदान फीसद बेहद कम (41.70 फीसद) रहा था। उपचुनाव में बसपा और कांग्रेस ने अपने प्रत्‍याशी नहीं उतारे थे। मुख्‍य मुकाबला भाजपा और सपा के बीच था। अंतत: भाजपा ने जीत दर्ज कर ली।

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