(News Rating Point) 24.04.2016
लखनऊ. वित्त विभाग की सचिव कामिनी रतन चौहान के काम की तारीफ़ आज अमर उजाला अखबार ने लखनऊ संस्करण के पेज-4 पर बैनर लगा कर की. उनके गरीब और अनाथ बच्चों की अच्छे स्कूलों में शिक्षा दिलाने के उनके प्रयासों की तारीफ़ अखबार ने की. लिखा कि एक महिला आईएएस अधिकारी ने ऐसे बच्चों के भविष्य की चिंता शुरू की है, जिनके न मां का पता है और न पिता का.
होम्स यानी बालगृह में पलने वाले बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए वह पिछले डेढ़ साल से साल से नामी बोर्डिंग स्कूल के चक्कर काट रही हैं. अब तक वह 15 बच्चों का दाखिला करवा चुकी हैं. तीन अन्य बच्चों के प्रवेश कार्यवाही पूरी हो चुकी है. वे भी जल्द स्कूल पहुँच जायेंगे. कई अन्य के दाखिले के प्रयास जारी हैं. ख़ास बात यह कि उनकी इस पहल के पीछे उनके खुद के बच्चे हैं. 1997 बैच की आईएएस कामिनी और उनके साथियों ने प्राग नारायण रोड के राजकीय राजकीय बालगृह (शिशु) के बच्चों के लिए हाथ बढाया है. वो जिन बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने का मौक़ा देने में सफल हुई हैं, उनमें से चार के माता या पिता जेल में हैं. पति के आईपीएस होने की वजह से वह कई लावारिस बच्चों के घर का पता लगवा कर उन्हें वापस भिजवाने में कामयाब हुई हैं. जिन बच्चों को बोर्डिंग स्कूल में दाखिले मिले हैं. उनकी फीस प्रति छात्र सालाना डेढ़ से तीन लाख रूपये तक है. जिन संस्थानों में बच्चों को दाखिला मिला है, उनमे लामार्टिनियर ब्यॉयज़, अर्बियन ग्लोबल स्कूल, जीडी गोयनका, शान्ति निकेतन विद्यापीठ मेरठ, लखनऊ पब्लिक कालिजएट, बाल विद्या मंदिर, एचएमएम गर्ल्स झांसी, इलाहाबाद गर्ल्स, इलाहाबाद ब्यॉयज़ट्रांसलेम एकेडमी मेरठ और डीपीएस कानपुर जैसे स्कूल शामिल हैं.
1997 के बीच की आईएएस कामिनी इस समय वित्त सचिव के पद पर कार्यरत हैं. वह कई जिलों की कलेक्टर रह चुकी हैं. इस दौरान स्कूली शिक्षा को अच्छा बनाने के लिए कई काम किये. पति दीपक रत्न आईपीएस अधिकारी है. इनके दो बच्चे हैं.