HIT 1/2* (News Rating Point) 28.02.2014
रेल बजट और उत्तर प्रदेश सरकार के बजट के बजट की आलोचना, मोहन भागवत की आलोचना जैसी खबरों के चलते मायावती टीवी चैनलों और अखबारों की खबरों में नज़र आयीं. अमर उजाला ने 26 फरवरी को लिखा- मायावती ने कहा है कि प्रदेश सरकार जनहित के बजाय पारिवारिक सुख व कल्याण पर ज्यादा केंद्रित हो गई है. यह सरकार तीन साल में तीन कदम चली लेकिन वह भी आगे के बजाय पीछे की ओर. मायावती ने एक बयान जारी कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के 2015-16 के बजट पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने चौथे बजट को जनकल्याणकारी कम कागजी ज्यादा बताते हुए कहा,जो सरकार केवल चाचा-भतीजों में ही उलझी रहती है, उससे सर्वसमाज के हित व कल्याण की उम्मीद नहीं की जा सकती. जो सरकार अपने बजट का पूरा पैसा नहीं कर खर्च कर पाती, जहां बजट खर्च होने पर भ्रष्टाचार व लूट-खसोट मचता हो, ऐसे माहौल में बजट से कोई उम्मीद नहीं है. किसानों व ग्रामीणों को लुभाने की कोशिश जरूर की गई है लेकिन इन्हें इसका सही लाभ तभी मिलेगा जब इनकी जमीन इनसे न छीनी जाए. उन्होंने आगरा एक्सप्रेस- वे के लिए जिन किसानों से जमीन ली जा रही है, उनके परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को रोजगार देने की मांग की है. पंजाब केसरी ने लिखा- बसपा अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश के बजट को महज ‘‘कागजी कवायद’’ करार देते हुए उसे खारिज कर दिया और राज्य की सपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि ‘‘परिवार, ताउ और भतीजों’’ वाली सरकार से जनता की सेवा की अपेक्षा नहीं की जा सकती. मायावती ने यहां जारी एक बयान में कहा कि कल पेश किए गए अखिलेश यादव सरकार के बजट में घोषित उपाय शायद ही लोगों के किसी काम आए क्योंकि राज्य में भ्रष्टाचार का राज है और बजट का धन अकसर खर्च नहीं होता. बसपा प्रमुख ने कहा, ‘‘यह बजट लोगों के कल्याण के लिए कम है और कागजी शब्द ज्यादा है.
इसके बाद रेल बजट पर मायावती की प्रतिक्रिया आयी और इसे चैनलों ने कवर किया. अख़बारों ने भी तवज्जो दी. अमर उजाला ने लिखा- बजट आंखों में धूल झोकने वाला है. रेलमंत्री कहते हैं पांच साल में रेलवे का कायाकल्प कर देंगे. सरकार को नौ माह हो गया अभी जमीन पर कुछ शुरू नहीं हुआ. बिजनेस स्टैण्डर्ड ने लिखा- “The first full-fledged Rail Budget of the (Narendra) Modi government is totally lack-lustre for the poor people after the big dreams it had shown them, specially for the people of Uttar Pradesh,” Bahujan Samaj Party (BSP) president Mayawati said in a statement.
मोहन भागवद के टेरेसा सम्बंधित बयान की आलोचना भी टीवी और अखबार की खबर बनी. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा- Bhagwat’s remarks on Teresa communal, shameful: Maya. राजस्थान पत्रिका ने लिखा- बसपा प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ओर से मदर टेरेसा को लेकर दिए गए आपत्तिजनक टिप्पणी की तीव्र निन्दा करते हुए मंगलवार को कहा कि इस प्रकार के बयान साम्प्रदायिक हैं और इससे देश का माहौल खराब होता है. मायावती ने अपने बयान में कहा कि मदर टेरेसा भारत में रहकर दु:खी. कष्ट पीडित व असहाय लोगों की सेवा कई दशकों तक की और उनकी इस सेवा के लिए विश्व भर में उन्हें बड़े आदर सम्मान के साथ याद किया जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसी शख्सियत के बारे में स्पष्ट तौर पर बिना किसी पुख्ता सबूत के ऐसा इल्जाम लगा देना घोर अनुचित, निन्दनीय व शर्मनाक है. इसके अलावा वेबसाईट वन इंडिया ने 27 फरवरी को खबर पोस्ट की- यूं तो कल लालू यादव की बेटी राज लक्ष्मी और मुलायम सिंह यादव के पौत्र के विवाह समारोह में सब लोग थे, पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती या उनके दल का कोई भी नेता वहां पर मौजूद नहीं था. छानबीन करने पर मालूम चला कि मायावती को वर या वधू पक्ष ने विवाह समारोह में भाग लेने के लिए बुलाया ही नहीं. जाहिर है कि उनके विवाह समारोह में भागल लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.
रेल बजट और उत्तर प्रदेश सरकार के बजट के बजट की आलोचना, मोहन भागवत की आलोचना जैसी खबरों के चलते मायावती टीवी चैनलों और अखबारों की खबरों में नज़र आयीं. अमर उजाला ने 26 फरवरी को लिखा- मायावती ने कहा है कि प्रदेश सरकार जनहित के बजाय पारिवारिक सुख व कल्याण पर ज्यादा केंद्रित हो गई है. यह सरकार तीन साल में तीन कदम चली लेकिन वह भी आगे के बजाय पीछे की ओर. मायावती ने एक बयान जारी कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के 2015-16 के बजट पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने चौथे बजट को जनकल्याणकारी कम कागजी ज्यादा बताते हुए कहा,जो सरकार केवल चाचा-भतीजों में ही उलझी रहती है, उससे सर्वसमाज के हित व कल्याण की उम्मीद नहीं की जा सकती. जो सरकार अपने बजट का पूरा पैसा नहीं कर खर्च कर पाती, जहां बजट खर्च होने पर भ्रष्टाचार व लूट-खसोट मचता हो, ऐसे माहौल में बजट से कोई उम्मीद नहीं है. किसानों व ग्रामीणों को लुभाने की कोशिश जरूर की गई है लेकिन इन्हें इसका सही लाभ तभी मिलेगा जब इनकी जमीन इनसे न छीनी जाए. उन्होंने आगरा एक्सप्रेस- वे के लिए जिन किसानों से जमीन ली जा रही है, उनके परिवार के कम से कम एक व्यक्ति को रोजगार देने की मांग की है. पंजाब केसरी ने लिखा- बसपा अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश के बजट को महज ‘‘कागजी कवायद’’ करार देते हुए उसे खारिज कर दिया और राज्य की सपा सरकार पर हमला करते हुए कहा कि ‘‘परिवार, ताउ और भतीजों’’ वाली सरकार से जनता की सेवा की अपेक्षा नहीं की जा सकती. मायावती ने यहां जारी एक बयान में कहा कि कल पेश किए गए अखिलेश यादव सरकार के बजट में घोषित उपाय शायद ही लोगों के किसी काम आए क्योंकि राज्य में भ्रष्टाचार का राज है और बजट का धन अकसर खर्च नहीं होता. बसपा प्रमुख ने कहा, ‘‘यह बजट लोगों के कल्याण के लिए कम है और कागजी शब्द ज्यादा है.
इसके बाद रेल बजट पर मायावती की प्रतिक्रिया आयी और इसे चैनलों ने कवर किया. अख़बारों ने भी तवज्जो दी. अमर उजाला ने लिखा- बजट आंखों में धूल झोकने वाला है. रेलमंत्री कहते हैं पांच साल में रेलवे का कायाकल्प कर देंगे. सरकार को नौ माह हो गया अभी जमीन पर कुछ शुरू नहीं हुआ. बिजनेस स्टैण्डर्ड ने लिखा- “The first full-fledged Rail Budget of the (Narendra) Modi government is totally lack-lustre for the poor people after the big dreams it had shown them, specially for the people of Uttar Pradesh,” Bahujan Samaj Party (BSP) president Mayawati said in a statement.
मोहन भागवद के टेरेसा सम्बंधित बयान की आलोचना भी टीवी और अखबार की खबर बनी. इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा- Bhagwat’s remarks on Teresa communal, shameful: Maya. राजस्थान पत्रिका ने लिखा- बसपा प्रमुख और यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ओर से मदर टेरेसा को लेकर दिए गए आपत्तिजनक टिप्पणी की तीव्र निन्दा करते हुए मंगलवार को कहा कि इस प्रकार के बयान साम्प्रदायिक हैं और इससे देश का माहौल खराब होता है. मायावती ने अपने बयान में कहा कि मदर टेरेसा भारत में रहकर दु:खी. कष्ट पीडित व असहाय लोगों की सेवा कई दशकों तक की और उनकी इस सेवा के लिए विश्व भर में उन्हें बड़े आदर सम्मान के साथ याद किया जाता है. उन्होंने कहा कि ऐसी शख्सियत के बारे में स्पष्ट तौर पर बिना किसी पुख्ता सबूत के ऐसा इल्जाम लगा देना घोर अनुचित, निन्दनीय व शर्मनाक है. इसके अलावा वेबसाईट वन इंडिया ने 27 फरवरी को खबर पोस्ट की- यूं तो कल लालू यादव की बेटी राज लक्ष्मी और मुलायम सिंह यादव के पौत्र के विवाह समारोह में सब लोग थे, पर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती या उनके दल का कोई भी नेता वहां पर मौजूद नहीं था. छानबीन करने पर मालूम चला कि मायावती को वर या वधू पक्ष ने विवाह समारोह में भाग लेने के लिए बुलाया ही नहीं. जाहिर है कि उनके विवाह समारोह में भागल लेने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता.