(News Rating Point) 02.07.2016
इलाहाबाद. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीईओ नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे अथारिटी रमारमण त्रिपाठी के लंबे समय से इस पद पर बने रहने का कारण पूछते हुए कामकाज पर रोक लगा दी है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से पूछा है कि आखिर रमारमण छह वर्ष से इन पदों पर कैसे बने हुए हैं. यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण टंडन और न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल की खंडपीठ ने अखिल भारतीय मानव सेवा समाज की याचिका पर दिया है. याचिका में इन तीनों पदों के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पद रमारमण की नियुक्ति को चुनौती दी गई है. इससे पहले जितेंद्र कुमार नामक एक व्यक्ति ने भी नोएडा में लंबे समय से एक ही पदों पर जमे अधिकारियों की आय से अधिक संपत्ति की जांच कराने के लिए याचिका दायर की थी. हाईकोर्ट दोनों याचिकाओं की सुनवाई एक साथ कर रही है. इसके साथ ही कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को आदेश दिया है कि त्रिपाठी के सभी अधिकार सीज करते हुए उन्हें सभी पदों से हटाया जाए. कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि दो हफ्ते के अंदर रमारमण का ट्रांसफर किया जाए. गौरतलब है कि कोर्ट में दायर जनहित याचिका में ये सवाल किए गए थे कि सरकारें बदल गईं, बसपा के बाद सपा सरकार आ गई और सात साल बाद भी त्रिपाठी अब भी तीनों प्राधिकरणों के चेयरमैन कैसे बने हुए हैं? जबकि उन्हीं के कार्यकाल में यादव सिंह का भ्रष्टाचार मामला सामने आया. क्या कोई ऐसा अधिकारी नहीं जो रमारमण की जगह ले सके.
नवभारत टाइम्स ने लिखा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नोएडा, ग्रेनो व यमुना अथॉरिटी के चेयरमैन रमारमण की एडमिनिस्ट्रेटिव पावर सीज करते हुए तत्काल प्रभाव से काम करने पर रोक लगा दी. 1987 बैच के आईएएस अफसर रमा रमण नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी में किसी न किसी पद पर छह साल से जमे हुए हैं. नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो प्रॉजेक्ट जहां इनके कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है वहीं ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 80 लाख वर्ग मीटर जमीन बिल्डरों को अलॉट करना और नोएडा में दो कंपनियों को स्पोर्ट्स सिटी का प्लॉट अलॉट करना इनके कार्यकाल के नासूर बने रहे. रमारमण के कार्यकाल में ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 80 लाख वर्ग मीटर जमीन बिल्डरों को अलॉट कर दी गई. किसानों ने यह कहते हुए विरोध किया कि उन्होंने अपनी जमीन इंडस्ट्री के लिए दी थी न कि बिल्डरों को देने के लिए. इसके विरोध में 39 गांवों के किसान इलाहाबाद हाई कोर्ट चले गए थे. इसके अलावा रमा रमण के कार्यकाल में दो कंपनियों को स्पोर्ट्स सिटी बनाने के लिए जमीन दी गई. जब यादव सिंह घोटाला प्रकरण में इन दोनों कंपनियों का नाम आया और सीबीआई की ओर से इन दोनों कंपनियों की जांच शुरू की गई तो इस प्रोजेक्ट को इन दोनों कंपनियों को देने को लेकर जनहित याचिका डाली गई. इस मामले में रमा रमण को पार्टी बनाया गया है. कोर्ट में 12 जुलाई को इसकी सुनवाई होनी है.