रिटायरमेंट में केवल 7 दिन बचे थे लेकिन तबादला, सरकार की फजीहत

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नितिन श्रीवास्तव
लखनऊ। ऐसा क्या हुआ कि जिसके रिटायरमेंट में मात्र सात दिन बचे हों, उसका अचानक तबादला कर दिया गया? ये सवाल यूपी के अफसरों, कर्मचारियों और भ्रष्टाचार के विरोध में खड़े होने वालों के बीच चर्चा का विषय है। अखबारों, पोर्टल और सोशल मीडिया में चर्चा है कि लखनऊ कमिश्नर एवं एलडीए अध्यक्ष रंजन कुमार के बंगले की साजसज्जा और मरम्मत के लिए पौन करोड़ से भी ज्यादा की रकम स्वीकृत करने से इंकार कर दिया था। यह तबादले की वजह बनी। जबकि चीफ इंजीनियर इंदु शेखर सिंह को हटाने की वजह चहेतों को ठेका देने, टेंडरों में गड़बड़ी और ठेकेदारों के भुगतान में गड़बड़ी बताई गई।

 

इस संबंध में प्रमुख सचिव (आवास) नितिन रमेश गोकर्ण की ओर से आदेश जारी किया गया है। विशेष सचिव डॉ. अरविंद कुमार चौरसिया ने इस आदेश में कहा कि मुख्य अभियंता आवास बंधु से संबद्ध रहेंगे। अखबारों ने लिखा कि एलडीए के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी ने इनके आरोपों की जांच कराने के लिए गोपनीय पत्र प्रमुख सचिव (आवास) को भेजा था। इस पत्र पर मुख्य अभियंता को एलडीए से हटा करके जांच बैठाई गई है। इंदुशेखर सिंह वर्ष 2017 से मुख्य अभियंता के पद पर तैनात थे। सत्ता एवं शासन में दखल रखने के कारण मुख्य अभियंता का कई ठेकेदारों एवं उच्च अफसरों से जमकर विवाद भी हुआ।
अमर उजाला ने लिखा कि एलडीए के मुख्य अभियंता इंदुशेखर को लखनऊ कमिश्नर एवं एलडीए अध्यक्ष रंजन कुमार के काम में अड़ंगा लगाना बहुत भारी पड़ा है। दरअसल, बटलर पैलेस स्थित आवास पर 81,79,306 रुपये खर्च करने का अवस्थापना निधि से जो प्रस्ताव बनाया गया था, उस पर मुख्य अभियंता ने आपत्ति दर्ज कराई थी। जिस एलडीए के कमिश्नर खुद अध्यक्ष थे और उनके मुख्य अभियंता की आपत्ति बहुत खली। इस आपत्ति से मंडलायुक्त को तगड़ा झटका लगा था।

 

 

एलडीए के मुख्य अभियंता पद से हटाए गये इंदुशेखर ने खुद को हटने की वजह मंडलायुक्त को बताया। उन्होंने कहा कि अवस्थापना निधि से कार्य कराने का जो प्रस्ताव बनाया गया था उस पर आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि मेरे ऊपर चार आरोप है। टेंडर की शर्त में शिथिलता करने, बिल्डर को शिवांग बिल्डर को फायदा पहुंचाने, बसंतकुंज योजना में सड़क निर्माण के ठेके में तत्कालीन उपाध्यक्ष का आदेश न मानना, शिवम लाइट्स फर्म को टेंडर डालने की अनुमति देने का है। ये सभी आरोप पिछले साल जुलाई से सितंबर तक हैं। सभी के जवाब मय दस्तावेजों सहित मुख्यसचिव, प्रमुख सचिव, लोकायुक्त को दे चुके। किसी भी आरोप में दोष सिद्ध नहीं हुआ है। मगर, नौकरशाहों ने नियोजित तरीके से हटवा दिया।
आईनेक्स्ट ने लिखा कि एलडीए के चीफ इंजीनियर इंदु शेखर सिंह 30 जून को रिटायर होने वाले थे लेकिन गुरुवार को अर्थात रिटायरमेंट से सात दिन पहले ही उन्हें शासन ने अनियमितता के आरोपों की जांच के बाद हटा दिया। फिलहाल उन्हें आवास बंधु से संबद्ध किया गया है और उनके स्थान पर नए चीफ इंजीनियर की तैनाती के आदेश भी जारी कर दिए गए हैैं।
नवभारत टाइम्स ने लिखा कि दरअसल चीफ इंजिनियर ने कमिश्नर रंजन कुमार को आवंटित सरकारी आवास में 81 लाख 79 हजार रुपये से मरम्मत और सजावट करने के प्रस्ताव पर एक दिन पहले ही 21 जून को आपत्ति लगा दी थी। 22 जून को एलडीए बोर्ड की बैठक के तुरंत बाद प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने चीफ इंजिनियर को पद से हटाने का पत्र जारी कर दिया। यह महज संयोग भी हो सकता है, लेकिन सत्ता के गलियारों में इस तबादले की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। कमिश्नर इस मुददे पर विस्तृत बातचीत करने से बचते दिखे, उधर चीफ इंजिनियर कह रहे हैं कि हो सकता है कि पैसा देने से इनकार करने की वजह मुझे हटाया गया हो। हालांकि प्रमुख सचिव तबादले पर कुछ नही कह रहे हैं।
न्यूज़ट्रैक ने लिखा कि लखनऊ विकास प्राधिकरण के मुख्य अभियंता सिविल इंदुशेखर सिंह को शासन से जारी आदेश के बाद उन्हें आवास बंधु से संबंध कर दिया गया है।

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