Akhilesh Yadav Samajwadi Party

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HIT *** (News Rating Point) 28.02.2014
उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के बजट ने मीडिया में उनकी लोकप्रियता जबरदस्त तरीके से बढ़ाई. अखबारों को पढ़कर ऐसा लगा कि शायद बजट में कोई कमी है ही नहीं. लेकिन क़ानून व्यवस्था की ख़बरों, खासतौर पर राजधानी लखनऊ के अपराधों ने अखिलेश यादव की जबरदस्त चढी रेटिंग में पलीता लगा दिया. न्यूज़ स्टेट सहित रीजनल चैनलों की ये एक हेडलाइन बन गयी. इंडिया न्यूज़ उत्तर प्रदेश ने डिबेट चलाई कि क्या यशस्वी यादव से नहीं संभल रही लखनऊ की सुरक्षा. 28 फरवरी को अखबारों के लखनऊ संस्करणों के पेज एक के शीर्षक थे- दैनिक जागरण- एटीएम बूथ पर तीन की हत्याकर 50 लाख का डाका. न्यूज़ स्टेट सहित कई रीजनल चैनलों की हेडलाइन बनी. टाइम्स ऑफ़ इंडिया- Robbers shoot three at ATM, loot over Rs 50L near Daliganj. इंडियन एक्सप्रेस- Three gunned down outside ATM, Rs 50 lakh looted. हिन्दुस्तान- एटीएम पर तीन को भूना पचास लाख लुटे. नवभारत टाइम्स- तीन की हत्या, 50 लाख लूटे. अमर उजाला- दिनदहाड़े ट्रिपल मर्डर, 51 लाख लूटे. खबर में लिखा- राजधानी में बेखौफ अपराधियों के आगे पुलिस लाचार है. भारी भीड़-भाड़ वाले इलाके डालीगंज में शुक्रवार को दिन-दहाड़े 12.30 बजे बाइक पर आए दो बदमाशों ने एचडीएफसी के एटीएम बूथ पर गोलियां बरसाकर निजी कंपनी के तीन कर्मचारियों को मौत के घाट उतार दिया और 50.50 लाख रुपये कैश से भरा बक्सा लेकर फरार हो गए. शायद सीएम को भी राजधानी पुलिस पर भरोसा नहीं रहा, इसीलिए उन्होंने वारदात के खुलासे के लिए सीधे सूबे के डीजीपी को हिदायत दी. नवभारत टाइम्स में खुद सपा विधायक रविदास मेहरोत्रा का बयान छपा- लखनऊ में पुलिस निकम्मी हो चुकी है. जिस शहर में लुटेरे तीन लोगों की हत्या कर चुपचाप निकल जाएं और वहां का एसएसपी, आईजी और डीआईजी से भी बाद में पहुंचे, उस पुलिस पर जनता का भरोसा कैसे टिकेगा. मैं खुद मुख्यमं‌त्री से बात करूंगा. घटना के लिए एसएसपी जिम्मेदार है, वह क्रिकेट खेलने में व्यस्त रहता है. नवभारत अखबार की रायपुर संस्करण के पेज एक पर यह खबर थी- 3 की हत्या कर बैंक से 64 लाख रूपये की लूट. दैनिक भास्कर के भोपाल संस्करण की हेडिंग- एटीएम में तीन को गोली मारी, 50 लाख रु. लूटकर फरार.
इस खबर ने मुख्यमंत्री के बजट का बना-बनाया माहौल ख़राब कर दिया. वरना 25 फरवरी के अखबारों की खबरों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की जबरदस्त वाहवाही की थी. अमर उजाला का शीर्षक था- चुनावी एक्सप्रेस-वे पर दौड़ी सरकार. हिन्दुस्तान ने लिखा- अखिलेश ने  खोला खजाना. दैनिक जागरण का बैनर- जय किसान. नवभारत टाइम्स ने लिखा- लखनऊ का ‘पावर प्ले’. डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट-  2015-16 किसान वर्ष घोषित. राष्ट्रीय सहारा- गांव-किसानों पर मेहरबान अखिलेश. मुख्यमंत्री ने यूपी का अब तक का सबसे बड़ा बजट किया पेश. हिन्दी पायनियर- तीन लाख करोड़ का यूपी बजट पेश. बिजली, सड़क, सिंचाई को विशेष प्राथमिकता. अंग्रेज़ी पायनियर ने लिखा- UP budget focuses on development.​ टाइम्स ऑफ़ इंडिया- Akhilesh’s budget: Kisan is king, laptops are back for students. No New Taxes, Annual Growth Rate 5%. हिन्दुस्तान टाइम्स- Power play-2017: Farmers, freebiesand infrastructure. ​इंडियन एक्सप्रेस- Eye on 2017 polls: Akhilesh’s Budget focuses on minorities and farmers. इकोनोमिक्स टाइम्स- UP budget: Focus on infrastructure, education, health, says Akhilesh Yadav. बिज़नेस स्टैंडर्ड – Akhilesh balances populism with development in annual budget.​ ​फाइनेंशियल एक्सप्रेस-​ ​Uttar Pradesh unveils Rs 3 lakh crore Budget​.​​ ​द हिन्दू-​ ​Akhilesh’s budget focuses on rural economy​​. ​प्रभात खबर- चौथी बार बजट पेश करने वाले चौथे सीएम बने अखिलेश. 28 फरवरी को अमर उजाला ने महेंद्र तिवारी की खबर छापी- सीएम ने चुपके से चला दी सब्सिडी पर कैंची-  अखिलेश सरकार भले ही ‘रोटी-कपड़ा सस्ती होगी, दवा-पढ़ाई मुफ्ती होगी’ के नारे को बुलंद कर सत्ता में आई है लेकिन 2015-16 के बजट में उसने बेहद होशियारी से सब्सिडी पर कैंची चला दी है. दरअसल अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सब्सिडी आधारित व्यवस्था को समाप्त करने का चौतरफा दबाव है. ऐसे में यूपी सरकार ने अगले साल के बजट में सब्सिडी की राशि को पिछले साल की तुलना में 1.24 % कम करना ही मुनासिब समझा है. मुख्यमंत्री के तमाम बयानों और घोषणाओं को भी मीडिया में तवज्जो दी गयी. अमर उजाला ने 23 फरवरी को लिखा- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि राज्य सरकार जितनी रकम लखनऊ और आगरा के विकास पर खर्च कर रही है, उससे सौ गुना केंद्र सरकार को वाराणसी के विकास पर खर्च करनी चाहिए. इसी तरह नैमिष धाम को 24 घंटे बिजली की खबर को नवभारत टाइम्स, हिंदुस्तान, अमर उजाला समेत तमाम अखबारों और रीजनल चैनलों ने प्राथमिकता दी. इन ख़बरों के अलावा बोर्ड परीक्षाओं में नक़ल, स्वाइन फ़्लू से मौतें, मुरादाबाद कोर्ट रूम के बाहर हत्या, लखनऊ में पीजीआई के डॉक्टर के घर डकैती जैसी तमाम खबरें अखबारों में प्रमुखता से छपीं जो अखिलेश यादव की रेटिंग डाउन करने के लिए पर्याप्त थीं.
Manoj Mishraसच पूछिए तो इस सप्ताह अखिलेश यादव के परफोर्मेंस की बात बेमानी है क्योंकि वह शाही शादी में व्यस्त रहे. जहां तक बजट की बात है तो यह एक मैकेनिकल प्रोसेस से ज़्यादा कुछ नहीं है. बजट में जो जय जवान की बात की जा रही है तो मेरा सवाल है कि अब तक उनका किसान प्रेम कहाँ था. (Manoj Mishra, BJP)
Ashok Singh Congressउत्तर प्रदेश में नौजवान मुख्यमंत्री की सरकार बनी थी और उससे काफी उम्मीदें थीं लेकिन सरकार सोती रही. अब सरकार तीन साल बाद तब जागी है, जब उसकी विदाई तय है. अखिलेश सरकार से आम आदमी निराश हुआ है. बजट की चकाचौंध जनता को भरमाने वाली बात है. (Ashok Singh Congress)

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